scriptऐसी भी क्या मजबूरी – दो किलोमीटर तक चादर में ले जाना पड़ा शव | What is the compulsion - dead body had to be carried in the sheet | Patrika News

ऐसी भी क्या मजबूरी – दो किलोमीटर तक चादर में ले जाना पड़ा शव

locationरतलामPublished: Sep 23, 2021 08:17:25 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

रतलाम जिले में एक ऐसा गांव है। जहां से शहरों की ओर आवाजाही करना किसी चुनौती से कम नहीं होता है।

ratlam news

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रतलाम. उपचार के दौरान जब ग्रामीण की मौत हो गई तो परिजनों के सामने उनका शव घर तक ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं रह गया। चूंकि शव को घर ले जाना भी जरूरी था, ऐसे में जब वाहन चालक ने भी हाथ खड़े कर दिए तो परिजनों ने दो किलोमीटर तक चादर में शव को लपेटकर घर ले गए।
जिला मुख्यालय से महज दस किमी दूर ग्राम पंचायत जामथून के मजरे पंथपाड़ा तक पहुंचने के लिए आदिम युग जैसा नजारा पिछले दिनों सामने आया है। गांव के एक युवक की मृत्यु होने पर ग्रामीण उसके शव को चादर में लपेट कर दो किलोमीटर तक पैदल ही ले गए। यह शर्मसार करने वाली घटना मंगलवार की रात को सामने आई जब गांव पंथपाड़ा के सोहनसिंह डामोर की मौत के बाद उसके शव को गांव ले जाया गया। गांव तक सड़क की इतनी बदतर हालत थी कि वाहन भी नहीं पहुंच पाया।
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यह है मामला-

ग्रामीणों के अनुसार गांव के सोहनसिंह पिता नानूराम डामोर 35 की तबीयत खराब होने से सोमवार को उसे जिला अस्पताल लाया गया। तब भी उसे बड़ी मुश्किल से गांव से सड़क तक दो किमी दूर लाया गया। मंगलवार को उसे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया, तो वहां इलाज के दौरान रात में मौत हो गई। चूंकि शाम हो गई थी तो परिजनों ने निजी वाहन करके शव को गांव ले जाने का फैसला किया। वाहन से जामथून तक तो पहुंच गए किंतु जामथून से पंथपाड़ा तक पहुंचने का मार्ग बदतर स्थिति में होने से वाहन नहीं जा पाया। ऐसे में ग्रामीण सोहनसिंह के शव को चादर में लपेट कर बांस पर टांगकर अपने गांव ले गए। मृतक सोहन का बुधवार की सुबह अंतिम संस्कार किया गया।
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कई सालों से खराब है रास्ता
मृतक सोहन डामोर के परिजन राजेश ने बताया की गांव में प्रवेश करने का एकमात्र रास्ता है जो जामथून से गांव तक आता है। यह पिछले कई सालों से बदहाल है। हर बार बारिश के दिनों में ग्रामीणोंं को इस समस्या से जूझना ही पड़ा है लेकिन आज तक किसी ने गांव की इस सड़क की सुध नहीं ली।
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यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सालभर पहले स्वीकृत हो चुकी है। गत 8 अगस्त को सड़क पर मुरम डलवाया किंतु कुछ ग्रामीणों ने यह कहकर विरोध कर दिया कि उनकी जमीन पर मुरम नहीं डालें। इसके बाद कुछ लोगों ने मुरम को सड़क से हटा दिया था। सड़क को लेकर पत्र कलेक्टर व ग्रामीण विधायक को भी लिख चुके है।

-मीरा मचार, सरपंच जामथून पंचायत

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