दरअसल, ऑनलाइन पढ़ाई के चक्कर में बच्चों द्वारा मोबाइल का उपयोग करने के समय में काफी इजाफा हो गया है। क्योंकि बच्चे पढऩे के बाद भी मोबाइल नहीं छोड़ते हैं, वे ऑनलाइन गेम खेलना, मोबाइल पर फोटो, वीडियो बनाना, सोशल मीडिया से जुडऩा आदि में व्यस्त हो जाते हैं। लेकिन परिजनों का भी इस पर ध्यान नहीं होता है, क्योंकि वे भी किसी न किसी काम में बिजी होते हैं।
ऐसे हो सकता है अकाउंट खाली कई बार सोशल मीडिया या गेम के बीच विभिन्न प्रकार के विज्ञापन और लिंक रहते हैं, इसी के साथ कई गेम पेमेंट वाले होते हैं, जो क्लिक करने मात्र से स्टार्ट हो जाते हैं और आपके अकाउंट से पैसा कटने भी लग सकता है, क्योंकि बच्चा जिस फोन पर गेम खेल रहा है अगर उसी पर ओटीपी आता है तो मोबाइल तुरंत एक्सेप्ट कर लेता है, जिससे पैसे कटने लगते हैं। बच्चों को किसी भी प्रकार के लिंक पर क्लिक करने से मना करें। हो सके तो बच्चों की ऑनलाइन क्लास होने के तुरंत बाद मोबाइल वापस ले लें।
मोबाइल को सुरक्षित रखना है, तो जरूर पढ़ें यह खबर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की नहीं दे अनुमति कई बार बच्चे ऑनलाइन गेम और छोटी मोटी खरीदी के खुद ही ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं, जिसका साइबर अपराधी फायदा उठाते हैं, बच्चों को ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं करने दें, क्योंकि कई बार छोटी सी गलती से पूरा अकाउंट भी खाली हो सकता है। बच्चों को पेमेंट वाले ऑनलाइन गेम को खेलने से भी रोकना चाहिए।
अब टाट-पट्टी पर नहीं डायनिंग टेबल पर ठाठ से बैठकर भोजन करेंगे बच्चे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए फोन देने से पहले जरूर रखें इन बातों का ध्यान-
-क्लास होने के बाद तुरंत वापस ले लें मोबाइल।
-पढऩे के बाद बच्चा मोबाइल पर क्या कर रहा है ध्यान रखें।
-मोबाइल वॉलेट एप्लीकेशन वाले फोन बच्चों को नहीं दें।
-किसी गेम या सोशल मीडिया पर नजर आने वाले विज्ञापनों व अन्य लिंक पर बेवजह क्लिक नहीं करें।
-गेम के बीच में आने वाले एप्लीकेशन को इंस्टॉल नहीं करने की जानकारी बच्चों को दें।
-मोबाइल में जिन एप्लीकेशन का उपयोग नहीं हो, उन्हें अनइंस्टॉल कर दें।
-प्ले स्टोर में पेरेंटल कंट्रोल ऑन रखें।
-बच्चों को स्क्रीन लॉक नहीं बताएं।
-जहां तक हो सके बच्चों को ऐसा मोबाइल दें, जिसमें वे पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं कर सकें, यानी जिससे ऑनलाइन किसी भी प्रकार का ट्रांजेक्शन नहीं हो सके। या उसमें कोई पेमेंट एप नहीं हो।
-कई बार किसी लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल हैक हो जाता है और साइबर अपराधी अपना काम कर लेता है, ऐसे में अकाउंट भी मिनटों में खाली हो जाता है।
-क्लास होने के बाद तुरंत वापस ले लें मोबाइल।
-पढऩे के बाद बच्चा मोबाइल पर क्या कर रहा है ध्यान रखें।
-मोबाइल वॉलेट एप्लीकेशन वाले फोन बच्चों को नहीं दें।
-किसी गेम या सोशल मीडिया पर नजर आने वाले विज्ञापनों व अन्य लिंक पर बेवजह क्लिक नहीं करें।
-गेम के बीच में आने वाले एप्लीकेशन को इंस्टॉल नहीं करने की जानकारी बच्चों को दें।
-मोबाइल में जिन एप्लीकेशन का उपयोग नहीं हो, उन्हें अनइंस्टॉल कर दें।
-प्ले स्टोर में पेरेंटल कंट्रोल ऑन रखें।
-बच्चों को स्क्रीन लॉक नहीं बताएं।
-जहां तक हो सके बच्चों को ऐसा मोबाइल दें, जिसमें वे पढ़ाई के अलावा कुछ नहीं कर सकें, यानी जिससे ऑनलाइन किसी भी प्रकार का ट्रांजेक्शन नहीं हो सके। या उसमें कोई पेमेंट एप नहीं हो।
-कई बार किसी लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल हैक हो जाता है और साइबर अपराधी अपना काम कर लेता है, ऐसे में अकाउंट भी मिनटों में खाली हो जाता है।
साइबर अपराधी ऐसे ही मौकों की तलाश में रहते हैं, बच्चों को मोबाइल देते समय पैरेंटस को सावधानी रखना चाहिए। क्योंकि सावधानी ही बचाव है।
-विवेक अग्रवाल, एसपी छिंदवाड़ा
-विवेक अग्रवाल, एसपी छिंदवाड़ा