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आज ही आजमाएं ये टिप्स तो पक्का मिलेगी कामयाबी

यदि आप अपने आप को खुश देखना चाहते हैं और खुद से किए वादों को हर हाल में पूरा होते देखना चाहते हैं तो आपको थोड़ा समझदारी से काम लेना होगा।

Aug 14, 2018 / 10:32 am

सुनील शर्मा

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अच्छे काम शुरू करने का कोई खास दिन नहीं होता। आप हफ्ते, महीने या साल व महीने की शुरुआत में कोई खास संकल्प ले सकते हैं या फिर अपने जन्मदिन पर। यदि आप अपने आप को खुश देखना चाहते हैं और खुद से किए वादों को हर हाल में पूरा होते देखना चाहते हैं तो आपको थोड़ा समझदारी से काम लेना होगा।
मैं स्वस्थ जीवनशैली अपनाऊंगा
इच्छाशक्ति से अपने आचरण को नहीं बदल सकते। परिवेश हमारी निर्णय क्षमता को प्रभावित करता है। इसलिए परिवेश में थोड़ा बदलाव कीजिए। आप जो ‘करना चाहते हैं’ और जो ‘करना चाहिए’ को मिलाइए। पसंदीदा टीवी शो देखते हुए ट्रेडमिल पर वॉक कीजिए। यदि बाहर वॉक करना है तो अपने साथ जीवनसाथी या बच्चों को ले जा सकते हैं। यदि पर्याप्त पानी नहीं पी रहे हैं तो पानी को इस तरह रखिए कि एक गिलास पानी के लिए आप अपनी सिटिंग से ब्रेक लेते हुए थोड़ा टहल भी लें। धूम्रपान छोडऩे के लिए ऐसे दोस्त की मदद लीजिए, जो खुद भी ऐसा ही करना चाहता हो।
शेड्यूल बनाएं
गुरुग्राम में कार्यरत लाइफ स्किल्स ए€क्सपर्ट अपर्णा सेम्यूअल बालासुंदरम कहती हैं, ‘कोई भी मुश्किल कार्य तब आसान हो जाता है जब आप इसमें कुछ ऐसा मिला देते हैं जो आपको पसंद है।’ यदि आप समय पर नहीं सो पाते तो अपना बेडटाइम शिड्यूल बनाइए और इसका पालन कीजिए।
मैं चीजों पर और अधिक ध्यान लगाऊंगा
शारीरिक, भावनात्मक या मानसिक रूप से ध्यान को भटकाने वाली चीजों से दूर रहें। अपने दिमाग को ऐसा प्रशिक्षण दीजिए जिससे वह कार के इंजन की आवाज, मोबाइल फोन की घंटी या दिमाग में उमडऩे वाले ख्यालों से न भटके। जब भी आपका ध्यान भटके तो कोशिश करें कि उस भटकाने वाली चीज को कहीं बाहर ले जाकर छोड़ दें। फिर वर्तमान में लौट आएं। स्मार्टफोन डिस्ट्रे€शन से बचने के लिए आप एप Žलॉकर की मदद ले सकते हैं।
यदि ध्यान केन्द्रित होगा तो आप जो कुछ महसूस कर रहे हैं उसमें और अधिक रम पाएंगे। आपने देखा होगा कि कुछ दिमाग सामान्य सी बातों को भी भूलने लगते हैं। यदि आप सचेत रहते हैं तो इससे आपके दिमाग में ध्यान की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। शोध बताते हैं कि यदि आपके आसपास की आवाजों को बंद कर दिया जाए तो आपकी क्रिएटिविटी बढ़ सकती है। इससे रिश्ते भी मजबूत बनते हैं €योंकि उन पर अधिक ध्यान दे पाते हैं।
मैं खुशियां चुनुंगा
‘आत्म-संवेदना’ को महसूस करना शुरू कीजिए। भावनाओं की कद्र कीजिए। रिश्तों को मजबूत बनाइए और जो आपके दिल को खुश करते हैं उन्हें यह पता लगने दीजिए कि वे आपकी जिंदगी पर सकारात्मक असर डालते हैं।
लगभग 75 वर्ष तक वयस्क विकास पर हुए एक अध्ययन से खुशी के अहम पहलुओं की जानकारी मिलती है। ये हैं- आपके साथ जो है उसमें खुश रहना सीखिए, नजदीकी रिश्तों को मजबूत बनाइए और अपनी सलामती का ध्यान रखिए। अनंत कहती हैं, ‘आइने में देखिए और कहिए, मुझे तुमसे प्यार है और तुम जैसे हो वैसे ही मुझे पसंद हो।’
साइंसडायरेक्ट के एक अध्ययन के अनुसार आत्म-संवेदना इसलिए जरूरी है €क्योंकि इससे दर्द और विफलता की स्थिति में स्वयं के प्रति दयालु रहने में मदद मिलती है। अनंत कहती हैं कि इससे स्वास्थ्य व खुशी मिलती है, अपने जीवन से प्रेम करने लगते हैं।
मैं अपने लिए समय निकालूंगा
जब अपने लिए 10—15 मिनट निकालने की बात हो तो यह आसान लगता है, लेकिन वास्तव में हम जीवन के जाल में इस कदर उलझे होते हैं कि अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाते। मुंबई की साइकोथैरेपिस्ट शालिनी अनंत सुझाव देती हैं कि सुबह सबसे पहले अपने आप पर ध्यान देना चाहिए और वे चीजें करनी चाहिए जिससे आपको आनंद मिलता हो। जबकि ऐसा लोग करने से बचते है। इसे रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल कीजिए और पूरी तरह निभाइए।
हमारे जीवन में अ€क्सर रोजाना बहुत कम विकल्प होते हैं जो स्वचालित तरीके से हमारे दिन के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। अनंत कहती हैं, ‘आप जो पसंद करते हैं, जैसे संगीत सुनना या बाहर वक्त बिताना… ऐसे करने से आपके दिन की शुरुआत सही तरीके से होती है और आप खुद को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाते हैं।’ ऐसी स्थितियों से बचना चाहिए, जो आपको थका देती हैं। ऐसे लोगों से दूर रहिए जो आपके दिमाग की शांति छीन लें।
मैं और अधिक पढ़ूंगा
आप ध्यान पर कोई आलेख पढ़ रहे हैं, बीच में ही आप हरित क्षेत्र का कोई लिंक देखते हैं और उस पर क्लिक कर लेते हैं। जैसे ही आप इसके दूसरे पैराग्राफ पर पहुंचते हैं, तभी आप बगीचे में कीटनाशक छिडक़ने से संबंधित आलेख पर पहुंच जाते हैं। इस तरह की ‘हाइपरलिंक—रीडिंग’ से दिमाग थकता है। इससे आपको भूलने की आदत होने लगती है और आप अधीर हो जाते हैं। इसलिए पुराने स्कूल की तरह एक किताब उठाइए। और उसे पढऩे की आदत डालें। हर दिन कुछ पढऩे का समय निकालिए। यह समय आपके आवागमन का हो सकता है या फिर सोने से पहले का। पढऩा ऐसी गतिविधि है जो सदियों से चली आ रही है और इससे आपके दिमाग को पोषण मिलता है तथा तनाव कम होता है।
बाल विकास पर हुए एक शोध के अनुसार, यदि पढऩे की आदत बचपन से शुरू कर दी जाए तो आगे बुद्धिमान बनने के रूप में इसका सकारात्मक असर होता है। मस्तिष्क विज्ञान पर हुआ एक शोध बताता है कि बुढ़ापे में इस तरह की बौद्धिक गतिविधि से दिमाग चुस्त रहता है और याददाश्त के कम होने की प्रक्रिया मंद हो जाती है।

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