इच्छाशक्ति से अपने आचरण को नहीं बदल सकते। परिवेश हमारी निर्णय क्षमता को प्रभावित करता है। इसलिए परिवेश में थोड़ा बदलाव कीजिए। आप जो ‘करना चाहते हैं’ और जो ‘करना चाहिए’ को मिलाइए। पसंदीदा टीवी शो देखते हुए ट्रेडमिल पर वॉक कीजिए। यदि बाहर वॉक करना है तो अपने साथ जीवनसाथी या बच्चों को ले जा सकते हैं। यदि पर्याप्त पानी नहीं पी रहे हैं तो पानी को इस तरह रखिए कि एक गिलास पानी के लिए आप अपनी सिटिंग से ब्रेक लेते हुए थोड़ा टहल भी लें। धूम्रपान छोडऩे के लिए ऐसे दोस्त की मदद लीजिए, जो खुद भी ऐसा ही करना चाहता हो।
गुरुग्राम में कार्यरत लाइफ स्किल्स एक्सपर्ट अपर्णा सेम्यूअल बालासुंदरम कहती हैं, ‘कोई भी मुश्किल कार्य तब आसान हो जाता है जब आप इसमें कुछ ऐसा मिला देते हैं जो आपको पसंद है।’ यदि आप समय पर नहीं सो पाते तो अपना बेडटाइम शिड्यूल बनाइए और इसका पालन कीजिए।
शारीरिक, भावनात्मक या मानसिक रूप से ध्यान को भटकाने वाली चीजों से दूर रहें। अपने दिमाग को ऐसा प्रशिक्षण दीजिए जिससे वह कार के इंजन की आवाज, मोबाइल फोन की घंटी या दिमाग में उमडऩे वाले ख्यालों से न भटके। जब भी आपका ध्यान भटके तो कोशिश करें कि उस भटकाने वाली चीज को कहीं बाहर ले जाकर छोड़ दें। फिर वर्तमान में लौट आएं। स्मार्टफोन डिस्ट्रेशन से बचने के लिए आप एप लॉकर की मदद ले सकते हैं।
‘आत्म-संवेदना’ को महसूस करना शुरू कीजिए। भावनाओं की कद्र कीजिए। रिश्तों को मजबूत बनाइए और जो आपके दिल को खुश करते हैं उन्हें यह पता लगने दीजिए कि वे आपकी जिंदगी पर सकारात्मक असर डालते हैं।
जब अपने लिए 10—15 मिनट निकालने की बात हो तो यह आसान लगता है, लेकिन वास्तव में हम जीवन के जाल में इस कदर उलझे होते हैं कि अपने लिए समय ही नहीं निकाल पाते। मुंबई की साइकोथैरेपिस्ट शालिनी अनंत सुझाव देती हैं कि सुबह सबसे पहले अपने आप पर ध्यान देना चाहिए और वे चीजें करनी चाहिए जिससे आपको आनंद मिलता हो। जबकि ऐसा लोग करने से बचते है। इसे रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल कीजिए और पूरी तरह निभाइए।
आप ध्यान पर कोई आलेख पढ़ रहे हैं, बीच में ही आप हरित क्षेत्र का कोई लिंक देखते हैं और उस पर क्लिक कर लेते हैं। जैसे ही आप इसके दूसरे पैराग्राफ पर पहुंचते हैं, तभी आप बगीचे में कीटनाशक छिडक़ने से संबंधित आलेख पर पहुंच जाते हैं। इस तरह की ‘हाइपरलिंक—रीडिंग’ से दिमाग थकता है। इससे आपको भूलने की आदत होने लगती है और आप अधीर हो जाते हैं। इसलिए पुराने स्कूल की तरह एक किताब उठाइए। और उसे पढऩे की आदत डालें। हर दिन कुछ पढऩे का समय निकालिए। यह समय आपके आवागमन का हो सकता है या फिर सोने से पहले का। पढऩा ऐसी गतिविधि है जो सदियों से चली आ रही है और इससे आपके दिमाग को पोषण मिलता है तथा तनाव कम होता है।