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विचार मंथन : अपने दोषों को भी देखा कीजिए- समर्थ गुरु रामदास

विचार मंथन : अपने दोषों को भी देखा कीजिए- समर्थ गुरु रामदास

भोपालJan 19, 2019 / 04:50 pm

Shyam

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : अपने दोषों को भी देखा कीजिए- समर्थ गुरु रामदास

आपके प्रति यदि किसी का व्यवहार अनुचित प्रतीत होता है तो यह मानने के पहले कि सारा दोष उसी का है, आप अपने पर भी विचार कर लिया करें । दूसरों पर दोषारोपण करने का आधा कारण तो स्वयमेव समाप्त हो जाता है । कई बार ऐसा भी होता है कि किसी की छोटी-सी भूल या अस्त-व्यस्तता पर आप मुस्करा देते हैं या व्यंगपूर्वक कुछ उपहास कर देते हैं । आपकी इस क्रिया से सामने वाले व्यक्ति के स्वाभिमान पर चोट लगना स्वाभाविक है ।

 

अपनी प्रशंसा सभी को प्यारी लगती है पर व्यंग या आलोचना हर किसी को अप्रिय है । कोई नहीं चाहता कि अकारण लोग उसका उपहास करें, मजाक उड़ायें । फिर आपके अप्रिय व्यवहार के कारण यदि औरों से अपशब्द, कटुता या तिरस्कार मिलता है तो उस अकेले का ही दोष नहीं। इसमें अपराधी आप भी हैं । आपने ही प्रारम्भ में इस स्थिति को जन्म दिया है । इसलिये दूसरों से प्रतिकार की भावना बनाने के पूर्व यदि अपना भी दोष-दर्शन कर लिया करें तो अकारण उत्पन्न होने वाले झगड़े जो कि प्रायः इसी से अधिक होते हैं, क्यों हों ?

 

अगर किसी को अपनी बात मनवानी ही है अथवा यह पूर्ण रूप से जान लिया गया है कि अमुक कार्य में इस व्यक्ति का अहित है, आप उसे छुड़ाना चाहते हैं तो भी अशिष्ट या कटु-व्यवहार का आश्रय लेना ठीक नहीं । यदि वह व्यक्ति आपके तर्क या सिद्धान्त को नहीं मानता तो आप उसे अयोग्य, मूर्ख या दुष्ट समझने लगते हैं और अनजाने ही ऐसा कुछ कह या कर बैठते हैं जो उसे बुरा लगे। इससे दूसरे के आत्माभिमान को चोट लगती है, जिसकी प्रतिक्रिया भी कटु होती है । उससे कलह बढ़ने की ही सम्भावना अधिक रहेगी ।

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