क्या करें: डॉ. अरबिंद मिश्र के मुताबिक वैसे तो भगवान सिर्फ भाव के भूखे होते हैं इसलिए श्रद्धानुसार आप किसी भी दिन व्रत रखकर जन्माष्टमी मना सकते हैं, लेकिन यदि आप हिंदू पंचांग के अनुसार चलना चाहते हैं तो 15 अगस्त को मनाना ज्यादा बेहतर होगा क्योेंकि 15 अगस्त की जन्माष्टमी उदया तिथि में है। हालांकि 15 अगस्त की रात को 12 बजे जब कान्हा का जन्म कराया जाएगा तब नवमी लग चुकी होगी लेकिन उदया तिथि की अष्टमी के कारण उस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होगा। वहीं अष्टमी का असर समाप्त होने के बाद भी देर रात तक रहेगा।
कान्हा के जन्म की तैयारियों से बाजार भी सज गए हैं। जगह—जगह मेवा, मिष्ठान की दुकानें सजी हैं। वहीं लड्डू गोपाल की छोटी—छोटी पीतल की प्रतिमा, झूले और ड्रेस, मुकुट आदि साज सज्जा के सामान की दुकानें भी बाजार में सज गई हैं। दुकानदारों का कहना है कि इन दिनों लड्डू गोपाल की प्रतिमा और उनके पालने की ज्यादा डिमांड है।