scriptवैदिक ज्योतिष : चंद्र का कुंडली के चौथे भाव में असर और दुष्प्रभावों से बचने के उपाय | Moon effects in fourth house of janam Kundali | Patrika News
हॉट ऑन वेब

वैदिक ज्योतिष : चंद्र का कुंडली के चौथे भाव में असर और दुष्प्रभावों से बचने के उपाय

मन के कारक होने के साथ ही चंद्र हैं नवग्रहों के मंत्री

भोपालAug 16, 2021 / 02:39 pm

दीपेश तिवारी

chandra in kundali

vedic jyotish

Vedic Jyotish : ज्योतिष के नौ ग्रहों का प्रभाव इंसान के पूरीे जीवन में अत्यधिक रहता है। ऐसे में ये सभी ग्रह जन्म के समय से ही कुंडली के किसी न किसी भाव में मौजूद रहते हैं, और इनमें से अधिकांश की दृष्टि एक दूसरे पर भी रहती है। जिसके आंकलन के बाद ही आने वाले समय सहित अन्य बातों के बारे में अनुमान लगाया जाता है।

ज्योतिष के इन्हीं ग्रहों में से एक है चंद्र, जो ग्रहों का मंत्री भी कहलाता है। वहीं मन का कारक होने के साथ ही चंद्र कई मायनों में व्यक्ति के जीवन में खास भूमिका भी निभाता है।

Chandra Grah Astrology

ऐसे में यदि किसी कुंडली के चौथे भाव यानि माता व सुख भाव में चंद्र मौजूद हो तो उस पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है, इस संबंध में पंडित सुनील शुक्ला के अनुसार कुंडली के चौथे घर में मौजूद चंद्रमा पर मुख्य रूप से केवल उसका स्वयं का ही पूर्ण प्रभाव रहता है क्योंकि वह चौथे भाव और चौथी राशि दोनों का स्वामी चंद्र ही होता है।

जिसके चलते यहां चन्द्रमा हर प्रकार से मजबूत और शक्तिशाली होता है। लेकिन यह स्थिति तब ही संभव है जब लग्न मेष का हो। जबकि लग्न में परिवर्तन के दौरान यानि लग्न मेष का न हो तो चौथे भाव में बैठा चंद्र अन्य ग्रहों के प्रभाव में जरूरी नहीं की अनुकूल असर ही दे।

वहीं जहां तक चौथे भाव में चंद्र का सवाल है तो कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा का होना इस बात का प्रतीक माना जाता है, कि ऐसा जातक अपने मूल परिवार और परिजनों के से अत्यधिक भावनात्मक जुड़ाव रखेगा। जबकि ऐसे जातक जब कभी परिवार पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें अधिक लाभ मिलने की संभावना बनती है।

कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी वाले जातकों को भावनात्मक तौर पर खुद को मजबूत करने की कोशिश करते हुए, अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ना चाहिए।

Must Read- Rashi Parivartan August 2021: समसप्तक योग हो रहा निक्रिय अब मिलेगी राहत

Surya dev

मेष लग्न वाली कुंडली में ऐसा जातक मां का लाडला होता है। साथ ही चंद्रमा से जुड़ी सभी चीजें जातक के लिए बहुत लाभप्रद रहती हैं। ऐसे जातको को मेहमानों को पानी की जगह दूध देना चाहिए, साथ ही मां व मां समान स्त्रियों के चरण छूकर आर्शीवाद भी लेना चाहिए। ऐसे जातकों का चांदी से खास नाता होता है, अत: इन्हें हमेशा चांदी को बचाकर रखना चाहिए। और कैसी भी स्थिति में चांदी को बेचने व गिरवी रखने से बचना चाहिए।

चंद्र के कुंडली में चतुर्थ भाव में होने की स्थिति में ऐसे जातकों के लिए आत्म सुरक्षा, और गोपनीयता जैसी चीजें खास मायने रखती हैं। ऐसे जातक अपनी वित्तीय सुरक्षा के खातिर बेहद चिंतित रहते हैं। वहीं इनकी ज़रूरतों की पूर्ति होने पर ये अधिक स्थिर हो जाएंगे।

कई बार बिना परिवार के सहयोग के ऐसे जातक किसी से व्यक्तिगत संबंध बनाने में तक नाकामयाब रहते हैं। अपने कोशिशों से ऐसे जातको को लक्ष्यों को अधिक व्यवहारिक और यथार्थवादी बनाना चाहिए।

Must Read- Pitru Paksha 2021: कब से हो रहा है शुरु और जानें इसका महत्व

Vedic Jyotish
चौथे भाव में चंद्रमा का असर
चौथे भाव में चंद्रमा की मौजूदगी अत्यधिक भावुकता उत्पन्न है, ऐसे में जिनकी कुंडली में ये स्थिति मौजूद होती है वे बहुत रक्षात्मक हो जाते हैं और अपनी भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पाते।यहां तक की कई बार तो यह अपनी भावनाओं को अपनों के साथ बांटने तक में सफल नहीं हो पाते। जिसके कारण कई बार भावनात्मक तनाव से तक इन्हें जूझना पड़ता है।
ये करें उपाय
: ऐसे जातकों को जीवन में ज्यादा से ज्यादा बार पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
: यह भी देखने में आता है कि तीर्थस्थल यात्रा से इनके जीवन की समस्या में कमी आती है।
: ऐसे जातकों को कभी किसी महिला से अभद्रता नहीं करनी चाहिए।
: इन्हें अपने कुल की देवी व देवता की समय-समय पर पूजा करते रहना चाहिए।
: ऐसे जातकों को प्रकृति से जुड़े कई कार्य करने के साथ ही पेड़ों को भी लगाना चाहिए।

Home / Hot On Web / वैदिक ज्योतिष : चंद्र का कुंडली के चौथे भाव में असर और दुष्प्रभावों से बचने के उपाय

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो