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Parvati Puja: आज ऐसे करें शिव-पार्वती की पूजा, नौकरी में प्रमोशन और बिजनेस में मुनाफा होगा

Parvati Puja: सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा देवी माता की पूजा के बाद ही की जाती है। वहीं माना जाता है कि इस दिन मां पार्वती के निमित्त कुछ आसान से उपाय कर लिए जाएं, तो व्यक्ति अपने सभी मनोरथ आसानी से पूर्ण कर सकता है।

Nov 27, 2022 / 06:31 pm

दीपेश तिवारी

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Parvati Puja: सनातन धर्म परंपरा के आदिपंचदेवों में श्रीगणेश,माता भगवती,विष्णु, शिव और सूर्य को प्रमुख स्थान दिया गया है। मान्यता है कि इनमें से किसी की भी पूजा करने से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त कर सकता है। इन सभी की पूजा बहुत ही सरल और साधारण है। वैसे तो इन देवी-देवताओं के स्मरण मात्र से ही व्यक्ति के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। फिर भी ज्योतिष में ऐसे कई उपाय बताए गए हैं जिन्हें भक्त अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।

इन साधनाओं में देवी मां भगवती की साधना का भी विशेष स्थान है। देवी माता के अलग-अलग कई रूप हैं, और हर रूप के अनुसार उनकी अलग साधना बताई गई है। इसमें जहां महाकाली जैसे रूपों की साधना अति उग्र हैं, तो वहीं मां पार्वती और मां लक्ष्मी रूप में उतनी साधना उतनी ही सरल और सौम्य है। सामान्यत: मां भगवती की पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है। माना जाता है कि इसमें कुछ आसान से उपाय कर लिए जाने पर व्यक्ति अपने सभी मनोरथ आसानी से पूर्ण कर सकता है। वहीं मां पार्वती की पूजा शुक्रवार के अतिरिक्त सोमवार व मंगलवार के दिन भी की जाती है। जिसमें आज हम सोमवार को की जाने वाली माता पार्वती की पूजा के बारे में बात करेंगे।

दरअसल सोमवार की पूजा मुख्य रूप से भगवान शिव की होती है। लेकिन, वहीं इस दिन भी भगवान शिव से पूर्व देवी मां की पूजा करना अनिवार्य माना गया है। क्योंकि देवी मां की पूजा के बिना भगवान शिव की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। वहीं धर्मग्रंथों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि देवी मां की पूजा के बाद ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। वहीं इसी दिन देवी मां की पूजा से नौकरी मे प्रमोशन व बिजनेस में भी मुनाफा होने की मान्यता है।

दरअसल भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत तरीके से पूजा सोमवार के दिन की जाती है। महादेव भक्तों के प्रति काफी दयालु माने गए हैं, ऐसे में उन्हें प्रसन्न करना काफी आसान माना जाता है। भगवान शिव के आशीर्वाद से भक्तों को किसी भी प्रकार का भय नहीं होता है और वह हर मुश्किल से मुक्त होते हैं। शिव जी की कृपा से भक्त के जीवन में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है। कुंवारी लड़कियों के लिए भी सोमवार का व्रत रखना लाभदायक माना गया है।

ऐसे करें शिव-पार्वती की पूजा (Parvati Puja)
सोमवार को शिव मंदिर में जाकर महादेव-पार्वती की विधिवत पूजा करें। उनका अभिषेक करें और उन्हें श्वेत पुष्प, वस्त्र, अक्षत, आदि अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाएं व आरती करें। इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा से व्यक्ति को उन दोनों का आशीर्वाद मिलता है। परन्तु यहां यह ध्यान रखने की बात है कि शिव-पार्वती की पूजा में कभी भी दूर्वा, तुलसी, आंवला आदि का प्रयोग न करें।

Somvar Vrat Puja Vidhi (सोमवार व्रत पूजा विधि): सोमवार के दिन शिव भक्तों को सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़ा धारण करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और पार्वती को स्मरण करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत का संकल्प लेने के बाद शिव पूजा से पूर्व देवी माता की पूजा करें फिर शिवजी को जल और बेलपत्र चढ़ाएं और भगवान शिव के साथ संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करें। पूजा करने के बाद कथा सुनें और आरती करने के बाद घर के सदस्यों में प्रसाद बांटें।

Somvar Vrat Importance (सोमवार व्रत महत्व): सोमवार के दिन जो भक्त शिव शंभू की पूजा करता है वह हर प्रकार की समस्याओं से दूर रहता है। शिवजी की उपासना करने से घर में माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। आर्थिक समस्याओं से भी शिव के भक्तों को छुटकारा मिलता है। वहीं इस दिन देवी मां पार्वती की पूजा से भी भगवान शंकर आसानी से प्रसन्न हो कर वे सभी वरदान प्रदान करते हैं जो भगवान शंकर की पूजा से मिलते हैं।

Somvar Vrat Katha (सोमवार व्रत कथा): एक शहर में एक साहूकार रहता था जिसे किसी चीज की कमी नहीं थी। हर तरह से परिपूर्ण होने के बाद भी वह हमेशा परेशान रहा करता था। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति के लिए वह सोमवार का व्रत रखता था और शिव मंदिर जाकर शिव-पार्वती की पूजा करता था। साहूकार की भक्ति देखकर मां पार्वती खुश हो गईं और उन्होंने भगवान शिव से साहूकार की इच्छा पूरी करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने पार्वती माता को यह समझाया कि हर किसी को उसके कर्मों का फल मिलता है जो उसे भोगना ही पड़ता है। भगवान शिव के समझाने पर पार्वती मां नहीं मानी और उन्होंने वापस भगवान शिव से साहूकार की इच्छा पूरी करने के लिए कहा। जिसके पश्चात भगवान को मां पार्वती की बात माननी पड़ी।

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