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Kajari Teej 2022: क्यों और कब मनाई जाती है कजरी तीज, जान लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

हिंदू धर्म में तीज का व्रत बहुत ही खास माना जाता है। सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रखती हैं। वहीं कजरी तीज का व्रत भाद्रपद मास में पड़ता है।

नई दिल्लीAug 01, 2022 / 10:29 am

Tanya Paliwal

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Kajari Teej 2022: क्यों और कब मनाई जाती है कजरी तीज, जान लें डेट, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Kajari Teej 2022 Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi And Importance: हिंदू कैलेंडर के अनुसार छठा महीना भाद्रपद में कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं। उन्हें में से एक है कजरी तीज का व्रत। कजरी तीज का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। तो आइए जानते हैं इस साल कब है कजरी तीज और साथ ही जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व…

कजरी तीज 2022 तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 13 अगस्त 2022 को अर्धरात्रि 12:53 बजे से होकर इसका समापन 14 अगस्त 2022 को रात 10:35 बजे होगा। वहीं कजरी तीज का व्रत 14 अगस्त 2022 को रविवार के दिन रखा जाएगा।

कजरी तीज की पूजा विधि
कजरी तीज व्रत वाले दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर में किसी साफ-सुथरी जगह पर सही दिशा में मिट्टी या गोबर से एक गोल छोटा घेरा बना लें।

इसके बाद मिट्टी के घेरे में कच्चा दूध और पानी भरकर उसके किनारे पर एक दीपक जलाएं। इसके बाद पूजन के थाल में सभी सामग्री जैसे कुमकुम, अक्षत, रोली, सिन्दूर, सभी सोलह श्रृंगार सामग्री, गहने, अगरबत्ती, फल, मिठाई, मौली आदि रख लें। गोबर अथवा मिट्टी से बनाए हुए गोल घेरे के एक किनारे पर नीम की एक डाल तोड़कर लगा दें और उस पर चुन्नी ओढ़ा दें।

फिर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नीम की डाल को नीमड़ी माता मानकर उनका पूजन करें और मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद महिलाएं रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर और पूजा के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर भोग में लगाए हुए मालपुए से अपना व्रत खोलें।

कजरी तीज का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कजरी तीज व्रत में सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत कन्याओं के लिए भी विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि जो सुहागिन महिला और कुंवारी कन्या नियमपूर्वक व्रत रखकर विधि-विधान से माता शिव और पार्वती का पूजन करती है उन्हें अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत का पारण चंद्रदेव के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है।

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