एकादशी व्रत करने से तीन गुना मिलता है पूजा का फल
पौराणिक कथा के अनुसार रामायण काल में जब भगवान श्रीराम राम अपनी वानर सेना लेकर लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे तो उनके सामने विशाल समुद्र को पार करने की चुनौती थी। उन्होंने ऋषि मुनियों से इसका उपाय पूछा। ऋषि मुनियों ने भगवान श्रीराम को विजया एकादशी का व्रत रखने को कहा। श्रीराम ने फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के साथ विजया एकादशी व्रत रखा और विधि विधान से पूजा की। मान्यता है कि इस व्रत से समुद्र से लंका जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की। तभी से इस विजया एकादशी के व्रत का महत्व और बढ़ गया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत करने से पूजा का फल तीन गुना मिलता है।
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विजय एकादशी के व्रत से सभी बाधाएं होती दूर
विजया एकादशी का व्रत जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। संकटों पर यह व्रत विजय दिलाता है। इसीलिए इस एकादशी का विजया एकादशी कहा गया है। व्रत के दौरान विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए और दान आदि का कार्य करने शुभ फल प्राप्त होते हैं।
विजया एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त….
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ- 08 मार्च, 2021 को दोपहर 03.44 मिनट से
विजया एकादशी व्रत : 09 मार्च 2021 को
एकादशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2021 दिन मंगलवार दोपहर 03.02 मिनट पर
विजया एकादशी पारण मुहूर्त- 10 मार्च को सुबह 06:37 से 08:59 तक (अवधि- 2 घंटे 21 मिनट)