अपर कलेक्टर ने पहले दिन अस्पताल पहुंचकर सभी के बयान लिए। दूसरे दिन कार्यालय में मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज इंदुलकर, डॉ. एमएच उस्मानी, डॉ करण कपूर और कैजुवलटी के वरिष्ठ सीएमओ डॉ. अतुल ङ्क्षसह से पूछताक्ष की। अपर कलेक्टर ने चिकित्सकों के अलावा वार्ड बॉय, नर्स स्टाफ सहित अन्य कर्मचारियों का बयान दर्ज किया है।
अस्पताल के चिकित्सकों के अमानवीय चेहरा और कू-प्रबंधन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए। दबी जुबान से मेडिकल कालेज की जांच रिपोर्ट पर अफसर भी सवाल उठा रहे हैं। वार्ड से लेकर कैजुवलटी में मौजूद चिकित्सकों के बीच इस बात की चर्चा रही कि इससे पहले हुई मौतों के मामले में वार्ड में डेथ के बाद कैजुवलटी के चिकित्सक कागजी औपचारिकता पूरी कर परिजनों को सूचना दिया। और परिजनों के आने तक शव को मच्र्युरी में फॉरेंसिक चिकित्सकों के हवाले कर दी जाती थी। लेकिन, विवेक के मामले में ऐसा नहीं किया गया।
जांच मेडिकल कालेज के डीन डॉ एपीएस गहरवार ने प्रारंभिक जांच फॉरेसिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शशिगर्ग से कराया है। जिसको लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मेडिकल नियमावती के अनुसार अस्पताल में मृत मरीजों के लिए कैजुलवटी से लेकर मच्र्युरी में फॉरेंसिक विभाग के चिकित्सकों को प्रक्रिया पूरी करने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन, डीन के द्वारा उसी विभाग के विभागाध्यक्ष को जांच सौंपी गई।
मामले में प्रारंभिक कार्रवाई कर दी गई है। जांच की डिटेल रिपोर्ट आना बाकी है। डीन के जांच प्रतिवेदन के आधार पर प्रारंभिक कार्रवाई की गई है। जांच निष्पक्ष की कराएंगे। कलेक्टर की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। जांच प्रतिवेदन आने के बाद दोषियों की जवाबदेही तय की जाएगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।