सामूहि विवाह में रायपुर कर्चुलियान जनपद क्षेत्र के ढाढर गांव का दूल्हा और नवागांव की दुल्हन संगे संबंधियों के साथ सामूहिक विवाह में पहुंचे। पंडाल के नीचे वेदी पर ब्याह की रश्म पूरी की। वर-वधू दोनों पक्ष की महिलाएं ब्याह की चर्चा में मशगूल रहीं। इसी बीच लडक़ी के फूफा ने पूछा दादू कहां नौकरी करते हैं। जवाब में दूल्हा धर्मेन्द्र ने कहा पीथमपुर में नौकरी करता हूं। कक्षा ८वीं तक पढ़ाई करने के बाद नौकरी मिल गई। वधू पक्ष की महिलाओं ने कहा, हमारी अंकिता तो ९वीं तक पढ़ी है। इसी तरह पथरहा के वेदीमणी 12वीं पास करने के बाद काम-धाम कर परिवार चलाता है। उसने लोही की सुनीता रजक के साथ फेरे लिए। सुनीता चौथी तक पढ़ी है। इस दौरान मंत्री ने सभी जोड़ो को आशीवार्द दिए।
वैवाहिक सम्मेलन में अंकुर श्रीवास्तव और पूर्णिमा साकेत ने अंतरजातीय विवाह कर लोगों के भेदभाव पर पूर्णविराम लगा दिया। अंकुर विवाह को लेकर खासे उत्साहित दिखे। पंडाल के नीचे वेदी पर सात फेरे लेने के बाद मंच पर पहुंचे। मंत्री लखन घनघोरिया ने जैसे ही योजना के तहत 48 हजार रुपए का टोकन दिया कि अंकुर का दिल बाग-बाग गए। अंकुर ने कहा, सामूहिक विवाह सम्मेलन किसी शाही शादी से कम नहीं है। हजारो की संख्या में लोग साक्षी बने। अंतराजतीय विवाह करने पर शासन की ओर से एक लाख रुपए और आदिम जाति कल्याण विभाग से दो लाख रुपए। इस तरह कुल मिलाकर 3.48 लाख रुपए का प्रोत्साहन राशि दी गई है। मंच पर रजदा बेगम, मो. इरफान सहित दस जोड़ो को टोकट रूप से चेक भी दिए।
सम्मेलन में 20 दिव्यांग जोड़ों ने भी ब्याह रचाया है। पूरे सम्मेलन में दिव्यांग लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे। इशारे में ब्याह की रश्म पूरी कराई जा रही थी। सामूहिक विवाह सम्मेलन में 42 जोड़ो ने निकाह कबूल किया।
एसएएफ ग्राउंड में आयोजिम सामूहिक विवाह सम्मेलन में 68 की संख्या में चार कतार में वेदी बनाई गई थी। हर राउंड में 68 जोड़े ब्याह की रश्म पूरी कर रहे थे। गायत्री परिवार के पंडितों ने वैदिकमंत्रोचार के साथ रश्म पूरी कराई। इधर, जनपद एवं नगर पंचायतों की ओर से सामाजिक न्याय विभाग को एक दिन पहले तक 1561 जोड़ों की लिस्ट भेजी थी लेकिन सम्मेलन में १५६१ ने ब्याह रचाया। अधिकारियों ने बताया कि पहले लक्ष्य 500, फिर 1200 कार्यक्रम के एक दिन पहले करीब पंद्रह की संख्या पहुंच गई। कार्यक्रम के दिन संख्या दो हजार जोड़ों से अधिक हो गई। आवेदन लेने के लिए जनपद एव नगर पंचायतों के काउंटर लगाए गए थे। काउंटर पर पंजीयन के लिए मारामारी मची रही। कई ऐसे भी जोड़े वेदी पर बैठे जिनका पंजीयन तक नहीं हो सका।