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रीवा

कलेक्टर के प्रतिबंध के बावजूद दो हजार रुपए में खनन को खुली छूट, आरटीओ और पुलिस का गठजोड़

मद्रास से बोरवेल कारोबारियों ने रीवा में खनन के लिए मगाई दो दर्जन से ज्यादा मशीनें

रीवाApr 20, 2018 / 12:27 pm

Rajesh Patel

collector ban two thousand open mining rupee discount

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रीवा. कलेक्टर के प्रतिबंध के बावजूद जिले में नए नलकूप का खनन जारी है। हैरान करने वाली बात यह कि खनन कराने के लिए बकायदे क्षेत्रीय अधिकारियों का हिस्सा भी फिक्स है। राजस्व, पुलिस और आरटीओ का गठजोड़ इस कदर है कि खनन के लिए ठेकेदार दक्षिण भारत से अतिरिक्त मशीनें मगाई हैं।
ठेकेदारों की मनमानी
इलाहाबाद मार्ग पर रेलायंस पेट्रोल पंप के निकट तिरहे पर सुबह 9.10 बजे पत्रिका टीम पहुंची। मां शारदा बोरवेल दुकान की पड़ोस में चाय की दुकान पर एक युवक नलकूप खनन कराने की जानकारी ले रहा था। ठेकेदार के एक कर्मचारी ने कहा चार और छह इच का बोर खनन कराने पर 24 से 30 हजार रुपए खर्च पड़ेगा। 150 से 200 फिट गहरा बोर होगा। प्रतिबंध लगा है पुलिस खर्च के लिए दो हजार रुपए अलग से देना होगा। मशीन शाम को छह बजे पहुंच जाएगी, रात में ही बोर होगा। दिन में बोर नहीं होगा। इस पर युवक ने कहा फोन नंबर दे दीजिए घर पर पूछकर बताएंगे।
दुरुपयोग किए जाने पर प्रतिबंध
ये कहानी अकेले इस बोरवेल दुकान की नहीं, बल्कि शहर के ज्यादातर बोरवेल दुकानों के आसपास नया बोर खनन करने के लिए दलाल बैठे हुए हैं। बतादें कि सूखे की स्थिति को देखते हुए कलेक्टर ने पंद्रह दिन पहले ही जिले में नए खनन और पानी के दुरुपयोग किए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। सूचना मिलने पर संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सूचना मिलने के बाद भी विभागीय अधिकारी दो हजार रुपए पर खनन की खुली छूट दे रखा है।
आंध्रा, तमिलनाडु और मद्रास से मगाई मशीनें
अलग-अलग ठेकेदारों के पास शहर में बोरवेल खनन करने वाली पचास से ज्यादा मशीनें हैं। ठेकेदारों के कर्मचारियों ने बताया कि रीवा में आंध्रा, तमिलनाडु और मद्रास की मशीनें ज्यादा हैं। प्रति मशीन दो से तीन बोर हर रोज कर रही हैं। औसतन हर रोज करीब 100 खनन किए जा रहे हैं।
आरटीओ कार्यालय में हर माह छह हजार रुपए जमा करना पड़ता है
बोर खनन करने वाले मशीन संचालकों की माने तो हर माह आरटीओ कार्यालय में प्रति मशीन छह हजार रुपए जमा करना पड़ता है। जिसकी कोई रसीद नहीं मिलती है। शहर के बोरवेल की दुकान संचालक ननकू ने बताया कि तीन माह के लिए मशीनें अधिक मगानी पड़ती है। इस साल भी तीन मशीनें मगाया गया है। इस दुकान से अकेले पंद्रह हजार रुपए आरटीओ के दलाल को देना पड़ता है। इसके अलावा पुलिस हर बोर के लिए दो हजार रुपए लेती है। कई बार तो डॉयल-100 और क्षेत्रीय पुलिस के बीच पैसे को लेकर झगड़ा तक हो जाता है। कुछ दिन पहले समान चौकी में दो सिपाहियों के बीच मारपीट तक की नौबत आ गई थी।

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