मध्य प्रदेश महालेखाकार ग्वालियर ने राज्य लेखा से स्वच्छता अभियान के तहत विभिन्न मद में खर्च बजट का परीक्षण किया है। इसमें जिला पंचायत कार्यालय में वित्तीय वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2014_15 तक करीब पांच करोड़ रुपए के हिसाब में आडिट कर्मचारियों ने आपत्ति लगाई है। पिछले चार साल से आडिट की आपत्ति का हिसाब नहीं दिया जा रहा है।
आडिट टीम के अनुसार,2014 में जिला पंचायत रीवा द्वारा जिला पंचायत मुरैना को करीब १ करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान कर दिया गया जिसका हिसाब जिला पंचायत के पास नहीं है। इसी तरह अवितरित 9.82 लाख रुपए शासन के खाते जमा नहीं किए गए। आडिट टीम ने समग्र स्वच्छता अभियान के तहत किए गए 7.64 रुपए के अग्रिम भुगतान का समायोजन नहीं किया गया है।
महालेखाकार की टीम ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम की लक्ष्यपूर्ति में कमी एवं आवंटित राशि 251.26 लाख रुपए अवरुद्ध रहने पर आपत्ति की है। उधर, वित्तीय वर्ष 14-15 में स्वच्छ भारत मिशन कार्यक्रम के तहत सूचना, संचार एवं शिक्षा मद से निर्धारित सीमा से 146.16 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। महालेखाकार की टीम ने व्यय की गई राशि पर आपत्ति लगा दी है जिसका हिसाब देने में अधिकारियों का पसीना छूट रहा है।
स्वच्छता अभियान के दौरान सामग्री सप्लायर्स के भुगतान से जिम्मेदारों ने वैट की वसूली नहीं की। महालेखाकार की आडिट टीम ने बिल बाउचर का परीक्षण करने के बाद आपत्ति में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में सामग्री सप्लायर्स के भुगतान के दौरान ५.१० लाख रुपए का वैट नहीं लिया गया। इसका हिसाब मांगा गया है।
परीक्षण में वित्तीय वर्ष 2014-15 में स्वच्छत भारत मिशन अभियान के दौरान प्रशासनिक मद में 81.84 लाख रुपए से अधिक की राशि व्यय कर दी गई है। आडिट टीम ने प्रशासन मद में अनुमति सीमा से अधिक खर्च बताते हुए आपत्ति लगाई है।