जिला अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक का स्वीकृत पद 20 हैं। अस्पताल में महज छह विशेषज्ञ डॉक्टर व्यवस्था संभाल रहे हैं। स्टाफ नर्स के 74 स्वीकृत की जगह 67 से काम चल रहा है। इसी तरह अस्पताल में अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी है। जिलेभर के अस्पतालों में 65 फीसदी चिकित्सक नहीं हैं। यही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में कुछ जगहों पर छोड़ सीएचसी-पीएचसी में विशेषज्ञ ही नहीं हैं।
लडखड़ाई स्वास्थ्य सुविधाएं
जिला अस्पताल में उधार के स्वास्थ्य कर्मचारियों से काम चला रहा है। अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग की बेसिक व्वस्थाएं लडखड़ा गई हैं। जिले की स्वास्थ्य सुविधाओं को सामान्य तरीके से संचालित करने के लिए वर्तमान में 571 चिकित्सक की आवश्यकता है। वर्तमान समय में 119 चिकित्सकों के भरोसे व्यवस्था चल रही है। जिला अस्पताल में मेडिसिन, अर्थो, गायनी, डेंटल, रेडियोलॉजिस्टि आदि विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। रेकार्ड में जिला अस्पताल में विशेषज्ञ समेत 34 चिकित्सक पदस्थ हैं। ज्यादातर बीआइपी ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं। अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के चलते सामान्य स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे है।
स्टाफ की कमी से शो पीस बने उपकरण
जिला अस्पताल समेत सीएचसी-पीएचसी, फीवर क्लीनिकों पर शासन ने लाखों रुपए खर्च कर मेडिकल स्टूमेंट, आटोग्लेब, स्टोमैथोलाइजर, इंट्रोवेटर, पल्सआक्सीमीटर, रेडियंटवारमर सहित कई अन्य प्रकार की मशीनें समेत अन्य उपकरण मुहैया कराया है। संचालन करने के लिए चिकित्सक, टैक्नीशयन सहित पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है। जिससें स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदाय करोड़ो रुपयों की मशीनें कमरों में रखी धूल खा रही है।
वर्जन…
जिला अस्पताल में स्टाफ की कमी है। स्वीकृत पदों की अपेक्षा ज्यादातर विशेषज्ञ चिकित्सकों की जगह खाली है। सामान्य चिकित्सक व्यवस्था संभाल रहे हैं। विभाग को इसकी जानकारी हर माह भेजी जाती है।
डॉ. केपी गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल