हुजूर तहसील के नैकिन (खजुहा) गांव की आदिवासी बस्ती की दर्जनभर महिलाएं और पुरूष विभिन्न समस्याओं को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। समस्या को लेकर परेशान महिलाओं से पत्रिका ने जैसे ही सवाल किया कि गांव की 80 वर्षीया तुलसी भडक़ गईं। दो टूक में कहा 60 साल बीते वोट डाल रहे हैं आज तक गांव में किसी सांसद को नहीं देखा है।
एक बार विधायक ने लिखा था पत्र
एक बार विधायक नागेन्द्र सिंह ने कलेक्टर को पत्र लिखा था। तब से आज तक कोई न सांसद और न ही विधायक ध्यान नहीं दे रहे हैं। बुजुर्ग महिला ने कहा रहने को घर नहीं है। झोपड़ी में 60 साल गुजर गए। बहुत पहले एक बार इंदिरा गांधी घर दिहिन रहीं और फिर मोदी घर दे रहे हैं, लेकिन सब पैसा अधिकारी-कर्मचारी और सरपंच खा रहे हैं।
गांव के जगदीश कोल, लाल जी, रामसिया, लल्ली, विश्राम, मंगल, नीरज आदि आदिवासियों ने कहा, चुनाव आया तो सभी गांव में वोट मांगने के लिए आ रहे हैं। जीतने के बाद कोई गांव में नहीं आता है। आज तक जितने भी सांसद हुए किसी को देखा तक नहीं है। गांव का सरपंच भी सचिव से मिलकर सरकारी योजनाओं का पैसा खा रहा है। गांव में न तो ठीक से रास्ता है और न ही गांव की गलियां चलने लायक हैं।
कलेक्टर कार्यालय में पहुंचीं भूमिहीन महिलाओं ने आवेदन देकर बताया कि शौचालय निर्माण के लिए दो साल से भटक रहे हैं। आवेदन के लिए आवेदन जमा कराए गए। आज तक निर्माण नहीं कराया गया है। करीब 200 की इस बस्ती में किसी के घर में टॉयलेट नहीं बना है। ज्यादातर आदिवासी परिवारों के आवास भी नहीं बने हुए हैं।