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रीवा

किसान खेतों में न जलाएं नरवाइ, खत्म हो जाते हैं जीवाणु, सूचना पर होगी ये कार्रवाई

संभागायुक्त अशोक कुमार भार्गव ने फसलों का अवशेष जलाने से पर्यावरण को होता है नुकसान

रीवाApr 16, 2019 / 08:47 pm

Rajesh Patel

Farmers are going to fire in unseen fire

अनदेखी की आग में किसान हो रहे तबाह

रीवा. किसान अपने खेत की फसलों को काटने के बाद बचे हुए अवशेष (नरवाइ) को जलाना प्रारंभ कर देते हैं। इसके कारण जमीन की ऊपरी सतह में विद्यमान कृषि के लिए लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। साथ ही खेत की मिट्टी की ऊपरी परत कड़ी हो जाती है जो धीरे-धीरे बंजरता की ओर बढऩे लगती है।
एनजीटी के आदेश पर निर्देश जारी
संभागायुक्त रीवा संभाग अशोक कुमार भार्गव ने किसानों से कहा है कि किसान किसी भी स्थिति में नरवाई नहीं जलाएं। इससे कृषि पर तो प्रभाव पड़ता ही है पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि किसान नरवाई को जलाने के बजाय इसका उपयोग जैविक खाद भू-नाडेप एवं वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में करें।
नरवाई को सड़ाकर बनाए खाद
नरवाई को एकत्र कर शीघ्रता से सड़ाकर पोषक तत्वों से भरपूर खाद बनाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त कल्टीवेटर, रोटावेटर की सहायता से खेतों में बचे फसल अवशेष को भूमि में मिलाया जा सकता है जिससे आगामी फसलों में जैवांश के रूप में खाद की बचत की जा सकती है। हार्वेस्टर से गेंहू कटवाने के उपरांत स्ट्रा रीपर के द्वारा बचे हुए अवशेष से पशुओं के लिए भूसा बनाया जा सकता है और खेत के लिये पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी की संरचना को बिगडऩे से भी बचाया जा सकता है।
नरवाई जलाने पर की जा सकती है कानूनी कार्रवाई
संभागायुक्त नरवाई जलाने पर राजस्व अधिकारों के तहत स्थानीय स्तर पर कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशनुसार एयर एक्ट 1981 अन्तर्गत प्रदेश में फसलों विशेष रूप से धान एवं गेंहू की फसल की कटाई के उपरांत फसल अवशेष को खेतों में जलाना प्रतिबंधित किया गया है। यह निर्देश तत्काल प्रभाव से संपूर्ण मध्यप्रदेश में लागू है। निर्देशों का उल्लंघन किए जाने पर व्यक्ति अथवा निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधान के अनुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देनी होगी। कार्यवाही का दायित्व जिला दण्डाधिकारी को दिया गया है।

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