जिले में खरीद चालू होने के 12वें महज 22 केन्द्रों पर ही धान की तौल चालू हो सकी है। शुक्रवार की शाम पांच बजे की स्थिति में 600 से ज्यादा किसानों से करीब २५ हजार क्विंटल धान की तौल की गई। अभी तक भुगतान एक भी किसान के खाते में नहीं पहुंचा है। बीते दिन मौसम के कहर से किसान कराह उठे। आसमान में मंडरा रहे बादलों को देख किसानों की धडक़न तेज हो गई है।
जिले में ज्यादातर किसानों की उपज खलिहान में रखी हुई है। जिनकी धान तौल के लिए तैयार हो गई है। ऐसे किसान केन्द्र पर उपज की तौल के लिए चक्कर लगा रहे हैं। कई केन्द्रों पर अभी तक तौल की व्यवस्था नहीं हो सकी है। यही कारण है कि अभी तक ४४ से अधिक खरीद केन्द्रों पर तौल शुरू नहीं हो सकी। जिसे लेकर किसान परेशान हैं।
कई किसानों ने जिम्मेदारों को सूचना दी है कि समय रहते किसानों के उपज की तौल नहीं की जा रही है। मौसम खराब होने के कारण धान नम हो जाएगी। मौसम की यही स्थित रही तो भीगने वाली धान के बदरंग होने की संभावना बढ़ जाएगी। बदरंग धान की तौल नहीं हो सकेगी। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते जिले में समय से तौल चालू नहीं हो सकी है। जिसे लेकर किसानों में असंतोष है।
अफसरों की चौखट पर चक्कर लगा रहे बीड़ा के किसान
जिले के सेमरिया तहसील क्षेत्र में बीड़ा खरीद केन्द्र को तत्कालीन कलेक्टर ने दागी बताकर डिफाल्टर घोषित कर दिया। यहां का केन्द्र कुम्हरा में बना दिया गया है। पूर्वा में उप केन्द्र बनाया गया है। किसानों ने भी मांग की है कि बीड़ा में भी उप केन्द्र बनाया जाए। जिससे गांव के सैकड़ो किसानों की उपज की तौल हो सके।
गांव के जय ङ्क्षसह की अगुवाई में कई किसान कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। अपर कलेक्टर से मिलकर समस्याएं बताई। किसानों ने जानकारी दी है कि गांव धान का उत्पादन 24 हजार क्विंटल से बढक़र लगभग 34 हजार क्विंटल पहुंच गया है। बीणा केन्द्र पर तौल कराया जाए। किसानों को बाहर जाकर उपज बेचने में दिक्कत होगी। इस दौरान ज्ञानेन्द्र प्रताप ङ्क्षसह, मृगेन्द्र ङ्क्षसह सहित कई अन्य रहे।