रीवा, सतना, सीधी और सिंगरौली में खरीद केन्द्रों पर धान बेचने के लिए 1.04 लाख किसान पहुंचे। किसानों ने 59.19 लाख क्विंटल से ज्यादा उपज की तौल कराई है। संभाग में सरकार ने 1046 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत की धान की तौल कर चुकी है। सरकार का दावा है कि 801 करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजा चुका है। शेष भुगतान को खाते में ट्रांजेक्शन करने की प्रक्रिया करीब-करीब पूरी हो चुकी है। जिम्मेदारों की लापरवाही इस कदर है कि अभी तक कुल तौल की मात्रा में से आठ फीसदी मात्रा का हिसाब नहीं मिल रहा है। जिससे स्वीकृत पत्रक जारी नहीं हो पया है। स्वीकृत पत्रक जारी नहीं होने के कारण भोपाल से किसानों की गाढ़ी कमाई का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
जिम्मेदार अधिकारी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। मामले में सभागायुक्त डॉ अशोक कुमार भार्गव ने टीएल बैठक के दौरान विभागीय अधिकारियों को आगामी उपार्जन की तैयारी के साथ ही चालू सीजन में तौल किए गए धान के भुगतान को लेकर निर्देश दिया है। टीएल बैठक के दौरान प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में लंबित भुगतान की स्थित सामने आयी है। बताया गया कि नागरिक आपूर्ति निगम और सहकारी समितियों व वेयर हाउस के पत्रक के हिसाब मैच नहीं कर रहा है। जिसके चलते भुगतान की प्रक्रिया लटकी हुई है।
संभाग में किसानों के समर्थन मूल्य के भुगतान में रीवा जिला सबसे फिसड्डी है। इसी तरह सतना और सिंगरौली की भी स्थित बनी हुई है। रीवा में 355 करोड़ रुपए से अधिक धान की तौल की है। अभी तक 272 करोड़ रुपए का भुगतान का दावा कर रहे हैं। जबकि सतना में 439 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत के धान खरीदने के बाद 322 करोड़ रुपए समर्थन मूल्य किसानों के खाते में भेजने का दावा किया जा रहा है। इसी तरह सीधी में 115 करोड़ रुपए की धान तौल के बाद 110 करोड़ का भुगतान हो चुका है। उधर, सिंगरौली में 135 करोड़ रुपए की उपज की तौल के बाद अभी तक 95 करोड़ रुपए का ही भुगतान हो सका है।
कुल किसानों की संख्या 104935
कुल तौल की मात्रा 591978.43
उपज की कुल कीमत 104657.39
भुगतान का दावा 80153.72