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रीवा

प्रदेश के इन चार जिलो में बढ़े अत्याचार के प्रकरण, कंट्रोल करने में अधिकारियों का छूट रहा पसीना

संभाग में अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारो को हर रोज प्रताडि़त किया जा रहा है। चालू वित्तीय साल में दस माह के भीतर सबसे अधिक मामले रीवा और सतना जिले में सामने आए

रीवाFeb 19, 2019 / 12:32 pm

Rajesh Patel

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The principal will listen to the comment on female teacher,Suspended principal in charge of Semra Vidyalaya, not keeping question paper in police station

रीवा. संभाग में अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारो को हर रोज प्रताडि़त किया जा रहा है। चालू वित्तीय साल में दस माह के भीतर सबसे अधिक मामले रीवा और सतना जिले में सामने आए हैं। जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास उपायुक्त कार्यालय रीवा को भेजी गई रिपोर्ट बताती है कि संभाग में अनुसूचित जाति एवं जनजति आए दिन अत्याचार हो रहे हैं।
दस माह में सबसे ज्यादा रीवा और सतना में पीडि़त
जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास उपायुक्त कार्यालय को भेजी गई जानकारी के अनुसार जनवरी 2019 की स्थित में 1324 प्रकरण दर्ज हुए हैं। जिसमें अभी भी 1182 प्रकरण लंबित हैं। लंबित प्रकरणों में आइपीसी के साथ ही एससी-एसटी के भी शामिल हैं। अप्रैल 2018 से लेकर जनवरी 2019 के बीच 300 से अधिक प्रकरण थानों में दर्ज हुए। पीडि़त परिवार को न्याय की बात तो दूर अभी तक उन्हें अनुसूचित जाति विकास विभाग से मिलने वाली राहत राशि अभी तक नहीं मिल सकी है।
पुलिस प्रस्तुत नहीं कर रही चालान
आदिम जाति कल्याण विभाग की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा है कि बीते दस माह के भीतर पंजीकृत प्रकरणों में से 80 पीडित परिवारों को राहत राशि की प्रकिया शेष है। अधिकारियों की अनदेखी इस कदर है कि अभी तक रीवा और सतना सहित संभाग में पुलिस थानों की पुलिस के द्वारा समय से 85 प्रकरणों का चालान तक प्रस्तुत नहीं किया गया है। जिससे पीडि़त परिवारों की राहत राशि का क्लेम क्लीयर नहीं हो पा रहा है। राहत राशि को लेकर सप्ताहभर पहले समीक्षा के दौरान अनुश्रवण समिति में संभागायुक्त ने जिम्मेदारों की नकेल कसी है।
सीधी में दस माह पहले से लंबित हैं 25 प्रकरण
संभाग में दस माह के पहले के भी 25 प्रकरण लंबित हैं। सभी प्रकरण सीधी जिले के हैं। अधिकारियों ने विवर में स्पष्ट किया है कि वर्ष 2019 के पहल प्रकरणों की राहत राशि लंबित हैं। सभी पीडि़तों की राहत राशि तैयार कर ली गई है। संबंधित थानों की रिपोर्ट के कारण पीडि़त परिवारों को राहत राशि उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है।
वर्जन…
लंबित प्रकरणों की समीक्षा सभागायुक्त कर चुके हैं। सभी को लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए गाइड लाइन तय कर दी गई है। लापरवाह अधिकारियों की जांच के लिए नोटिस जारी करने की प्रक्रिया प्रचनल में हैं।
राकेश शुक्ला, उपायुक्त, जनजाति कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग

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