मनगवां बस स्टैंड के पास स्थित बसोर बस्ती में १६ मार्च २०१२ को रात ११ बजे संतोष बंसल और अभियुक्तों में पुरानी रंजिश को लेकर गाली-गलौच शुरू हो गई। मामूली विवाद कुछ देर में मारपीट में बदल गया। इस बीच आरोपियों ने संतोष बसंल की नौ वर्षीय बेटी दिव्यांग काजल को चाकू मार दिया। इससे उसकी मौत हो गई। मामले में पुलिस ने दो परिवारों के १२ लोगों को आरोपी बनाया था।
दोनों पक्षों के तर्क सुनकर द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार श्रीवास्तव ने सभी आरोपियों हत्या का दोषी मानते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा ३०२/१४९ में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन की ओर से पैरवी लोक अभियोजक अरुण कुमार शर्मा ने की ।
इनको मिली सजानौ वर्षीय दिव्यांग कॉजल की चाकू से हत्या करने पर पिता दीनबंधु व इसके पांच बेटे राजू बसोर, अजय,
धर्मेन्द्र , गुरुदेव एवं रमेश को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अतिरिक्त बाबूलाल, छोटेलाल, राजेश, लाला, मिठाईलाल एवं परदेशी शामिल हंै।
11 की जमानत निरस्त, भेजा जेल हत्या के मामल ेमें सिर्फ एक आरोपी लाला पिछले पांच सालों से जेल में बंद है। शेष सभी जमानत पर बाहर थे। बुधवार को न्यायालय ने सजा सुनाने के बाद सभी की जमानत निरस्त करने हुए जेल भेज दिया।
बेहोश हो गईं महिलाएं
न्यायालय में फैसले के दौरान आरोपियों के साथ ही उनके परिजन पहुंचे थे। शाम को जैसे ही दोषियों को सजा सुनाई गई, बाहर खड़ी महिलाओं में चीख पुकार मच गई। इस दौरान कुछ महिलाएं बेहोश होकर गिर गईं।
पुलिस छावनी बना न्यायालय
कोर्ट परिसर में परिजनों की अधिक संख्या को देखते हुए व्यवस्था के लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। सुरक्षा की दृष्टि से न्यायालय से सभी परिजनों को बाहर निकाला गया। न्यायालय में सिर्फ अधिवक्ता एवं मामलों के पक्षकार को अंदर जाने दिया गया है।