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लॉकडाउन में बदला पढ़ाई का तरीका, 33 शिक्षक 8 सौ छात्रों की करा रहे घर बैठे पढ़ाई

-उत्कृष्ट विद्यालय के शिक्षकों ने ह्वाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को जोड़ा

रीवाJun 17, 2020 / 11:36 am

Ajay Chaturvedi

स्कूल

स्कूल

रीवा. कोविड 19 में लोगों की दिनचर्या को बदल दिया है। ऐसे में पढ़ाई भी अछूती नहीं है। लॉकडाउन समय से शिक्षक छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे है। ब्लैक बोर्ड की जगह मोबाइल या टीवी ने ले ली है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहा है। इसे देखते हुए आगे डिजीटल एजुकेशन का एक नया प्लेटफर्म बन गया है। जिला उत्कृष्ट विद्यालय मार्तंड क्रमांक 01 ने यह शुरुआत किय है। लॉकडाउन के दौरान बच्चों को ऑनलाइन में शिक्षा देने का काम शुरु किया है। अब रोजाना 33 शिक्षक, आठ सौ से अधिक छात्रों को घर बैठे पढ़ा रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के चलते 13 मार्च से स्कूल बंद है। छात्र खेलने के लिए बाहर भी नहीं निकल रहे है, घर में छात्र खाली बैठे है। इस समय का उपयोग करते हुए शिक्षक छात्रों को ऑनलाइन घर में बैठकर पढ़ा रहे है। इसके लिए डिजीलेप से रोजाना शैक्षणिक सामग्री तो प्रदान की जाती है। लेकिन इस शैक्षणिक सामग्री के दौरान आने वाली दिक्कतें कैसे समाप्त हो, इसके लिए एक्सीलेंस विद्यालय ने स्कूल स्तर में छात्रों का 33 गु्रप बनाया है। इसमें छात्र अपनी समस्याओं को शिक्षक से जुडकऱ पूछं रहे है। वहीं शिक्षक भी घर बैठकर सवालों के जबाव दे रहे है।
800 छात्र है एक्टिव
उत्कृष्टता विद्यालय के कक्षा 9 से 12 तक 1200 छात्र है। इनमें 800 छात्र ऑनलाइन एक्टिव है। इन्हें चार गणित व चार विज्ञान के व्याख्यता नियमित रुप से छात्रों को घर बैठकर पढ़ा रहे है। इसके अतिरिक्त अन्य शिक्षक भी अपनी -अपनी विषयों के छात्रों को घर बैठे पढ़ा रहे है। स्थित यह है कि स्कूल बंद होने के बाद छात्रों को सभी कोर्स पढ़ा चुके है। ऐसे में जब विद्यालय खुलेंगें तो अध्यापन में आसानी होगी।

यह आ रही है परेशानी
ऑन लाइन शिक्षा में सबसे अधिक परेशानी छात्रों के पास संसाधन नहीं होना है। इसके अतिरिक्त मोबाइल में तीन से चार घंटे तक बैठने से छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। सबसे अधिक असर उनकी आंखों पर पड़ रहा । वहीं अध्यापन की सामग्री सभी छात्रों तक नहीं पहुंच रही है। इसकी वजह है कि सभी अभिभावक स्मार्ट फोन व मोबाइल डाटा उपलब्ध कराने की क्षमता नहीं रखते है।

बच रहा है समय और धन
ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से सबसे अधिक बचत समय और अर्थ दोनों की हो रही है। शिक्षक जहां विद्यालय आने व अन्य काम में आने-जाने से उनके परिवहन का खर्च बच रहा है। वहीं छात्रोंं को स्कूल आने-जाने में लगने वाले समय की बचत हो रही है। साथ ही ध्यान केन्द्रित होने से पढ़ाई में आसानी मिल रही है। इससे उन छात्रों को विकल्प खुल गया है जो अर्थ के अभाव में कोचिंग नहीं कर पाते थे। अब शिक्षकों से ही घर बैठकर जबाव कर सकते है।
कोट

“ऑनलाइन शिक्षा के बेहतर परिणाम आ रहे है। इससे छात्र भविष्य में एवं अवकाश के दिनों में शिक्षक से घर बैठकर शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे। वहीं शिक्षक एक में समय बड़ी संख्या में छात्रों को पढ़ा सकेंगें।”-वरिष्ठ शिक्षक सुरेश सोनी

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