इस दौरान सेमिनार में मौजूद डॉक्टरों ने कहा कि जनवरी से लेकर एक अप्रेल तक ९० पोस्ट मार्टम किए गए हैं। जिसमें ६० दुर्घटना से मौत हुई है। दुर्घटना में हुई मौत से ज्यादातर लोग नशे के हालात में पाए गए हैं। चिकित्सकों ने कहा कि सरकारी गैर सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मुख कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सों ने उदाहरण दिया कि अगर चार माह में ६० लोगों की मौत दुर्घटना से हो रही है तो विंध्य में १२५ से ज्यादा लोगों की मृत्यु मुख कैंसर से हो रही है। मुख कैंसर के पहचान और लक्षण पर भी विस्तत चर्चा की गई।
चिकित्सकों तंबाकू का सेवन नहीं करने की सलाह दी है। इस दौरान डॉक्टरों ने ओरल कैंसर के नवीन उपचार और जल्द पहचान के लिए जागरुक रहने का आह्वान किया। डॉ करुणा जिंदवानी ने मुख कैंसर जैसे मुख का कम खुलना, जबड़े में सफेद-सफेद हो जाना आदि प्रारंभिक लक्ष्ण पर प्रकाश डाला। डॉ गीता त्रिपाठी ने कैंसर के नवीन उपचार की जानकारी दी। कार्यक्रम में डॉ. पीके लखटकिया, डॉ. मनोज इंदुलकर, डॉ. राघवेन्द्र, डॉ. दिनेश पटेल, डॉ. शीतल चौधरी सहित अन्य डॉक्टर मौजूद रहे। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन सचि डॉ. दिवाश्री शर्मा ने किया।