इसे भी पढ़ें :- सात फेरों को किया शर्मसार, बेवफाई कर बुना मौत का जाल ये बताई जारही कहानी…
बताया गया है कि देवगांव में रीवा व सतना की सीमा में स्थित एक पलाश के पेड़ के नीचे दो महीने पूर्व एक चरवाहा थककर आराम करने लगा। बाद में वह वहीं पर लेट गया। वह शारीरिक दर्द से पीडि़त रहता था। जब वह पेड़ के नीचे से उठकर बाहर आया तो अपने आप को स्वस्थ्य पाया। उसने गांव वालों को यह बात बताई। जिस पर गांव के राम प्रकाश द्विवेदी, वेद नारायण द्विवेदी, पुष्पेंद्र द्विवेदी, संतोष, जगमोहन लाल साहू आदि भी उक्त स्थान पर आए परिक्रमा लगाया तो उनको भी दर्द से आराम मिला। इसकी खबर जैसे ही आसपास के गांवों में हुई भारी संख्या में लोग पेड़ के पास पहुंच रहे हैं। रविवार को अलग अलग स्थान से आए कई लोगों ने बताया कि पहली बार आने पर उन्हें 50 प्रतिशत से भी ज्यादा आराम हुआ और जो लोग 2 से 3 बार आए उन्हें 80 प्रतिशत से ज्यादा आराम मिला है। वहीं स्थानीय साधु संतों का कहना है कि उस स्थान में कभी पद्मनी देवी की गढ़ी हुआ करती थी जो कि करीब 200 साल पहले विलुप्त ही गई थी, उसी के प्रताप से लोगों को आराम मिल रहा है। अब सच्चाई क्या है यह तो जांच का विषय है लेकिन पेड़ के पास सैकड़ों लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।
बताया गया है कि देवगांव में रीवा व सतना की सीमा में स्थित एक पलाश के पेड़ के नीचे दो महीने पूर्व एक चरवाहा थककर आराम करने लगा। बाद में वह वहीं पर लेट गया। वह शारीरिक दर्द से पीडि़त रहता था। जब वह पेड़ के नीचे से उठकर बाहर आया तो अपने आप को स्वस्थ्य पाया। उसने गांव वालों को यह बात बताई। जिस पर गांव के राम प्रकाश द्विवेदी, वेद नारायण द्विवेदी, पुष्पेंद्र द्विवेदी, संतोष, जगमोहन लाल साहू आदि भी उक्त स्थान पर आए परिक्रमा लगाया तो उनको भी दर्द से आराम मिला। इसकी खबर जैसे ही आसपास के गांवों में हुई भारी संख्या में लोग पेड़ के पास पहुंच रहे हैं। रविवार को अलग अलग स्थान से आए कई लोगों ने बताया कि पहली बार आने पर उन्हें 50 प्रतिशत से भी ज्यादा आराम हुआ और जो लोग 2 से 3 बार आए उन्हें 80 प्रतिशत से ज्यादा आराम मिला है। वहीं स्थानीय साधु संतों का कहना है कि उस स्थान में कभी पद्मनी देवी की गढ़ी हुआ करती थी जो कि करीब 200 साल पहले विलुप्त ही गई थी, उसी के प्रताप से लोगों को आराम मिल रहा है। अब सच्चाई क्या है यह तो जांच का विषय है लेकिन पेड़ के पास सैकड़ों लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं।