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रीवा

अच्छी खबर: किसी भी पुस्तक विक्रेता से पुस्तक व यूनिफार्म सेट खरीद सकते हैं अभिभावक

कलेक्टर ने स्कूल प्रबंधन की छात्रों को ड्रेस, कापी-किताब की निर्धारित गाइड लाइन के लिए अभिभावक बाध्य नहीं होंगे

रीवाMay 29, 2020 / 12:28 pm

Rajesh Patel

Instructions to ban expensive books in private schools

Instructions to ban expensive books in private schools

रीवा. निजी विद्यालयों में पढऩे वाले छात्रों के लिए अच्छी खबर है। अब स्कूल प्रबंधन की छात्रों को ड्रेस, कापी-किताब की निर्धारित की गई गाइड लाइन से अभिभावक मुक्त रहेंगे। कलेक्टर बसंत कुर्रे ने आदेश दिया है कि प्रत्येक विद्यालय को अपने सूचना पटल पर उन दुकानों के नाम प्रदर्शित करना आवश्यक होगा। जहां पर उस विद्यालय से संबंधित पुस्तकें तथा यूनिफार्म विक्रय के लिए उपलब्ध है।
खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी बसंत कुर्रे ने जिले के सभी पुस्तक व यूनिफार्म विक्रेताओं का इस आशय की सूचना अपनी दुकान पर लगाएं कि अभिभावक किसी भी स्कूल की पुस्तक या यूनिफार्म क्रय कर सकता है। उसे पुस्तकों का पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। उन्होंने आदेश जारी किए कि प्रत्येक विद्यालय को अपने सूचना पटल पर उन दुकानों के नाम प्रदर्शित करना आवश्यक होगा जहां पर उस विद्यालय से संबंधित पुस्तकें तथा यूनिफार्म विक्रय के लिए उपलब्ध है। साथ ही यह स्पष्ट करना होगा कि विद्यालय द्वारा किसी भी विशेष दुकान में क्रय करने की कोई बाध्यता नहीं है।
मूल्य सूचना पटल व बेबसाइट पर करें प्रदर्शित
कलेक्टर ने प्रत्येक विद्यालय को अपने विद्यालय में चलन वाली पुस्तकों की सूची लेखक एवं प्रकाशक का नाम तथा मूल्य अपने विद्यालय के सूचना पटल पर एवं अपनी बेवसाइट पर प्रदर्शित करना आवश्यक होगा। यह जानकारी शाला के छात्रों एवं अभिभावकों द्वारा मांगने पर उन्हें उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा साथ ही कक्षा एक से 12वीं तक कक्षावार पुस्तकों की सूची जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्रतिवर्ष उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से संपूर्ण रीवा जिले में लागू होगा।
अभिभावकों पर दबाब डालते हैं
कलेक्टर ने आदेश जारी कर कहा है कि जिले में अनेक अशासकीय विद्यालय संचालकों द्वारा निजी प्रकाशनों की अनेक पुस्तकों का उपयोग विद्यालय के पाठ्यक्रम में किया जा रहा है। इसी प्रकार विद्यालयों में उनका अपना यूनिफार्म कोड आदि नियत है। यह पुस्तकें तथा यूनिफार्म आदि बाजार की किसी विशेष दुकान पर ही उपलब्ध है तथा पालकों को उक्त दुकान से ही क्रय करने का दबाव डाला जाता है। इसी प्रकार दुकानदार ग्राहकों को फुटकर पुस्तक न देकर पूरा सेट खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। इस प्रकार की मोनोपाली कानूनी व नैतिक रूप से गलत है। इससे पालकों को अनावश्यक व्यय करना पड़ता है। उनका अवैधानिक शोषण होता है।
दुकानों व विद्यालयों में बढ़ रहा रार
इसके कारण विद्यालयों व दुकानों पर लड़ाई-झगड़ा होना आम हो गया है। इससे कानून एवं व्यवस्था संचालन में अनापेक्षित व्यवधान उत्पन्न होता है तथा लोक परिशांति क्षुब्ध होने की प्रबल आशंका उत्पन्न हो गयी है। इसलिए दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा के अन्तर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश पारित किया गया है।

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