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गांव के पांव : प्यास बुझाने इस रानी ने खोदवा दिया था 16 एकड़ का तालाब

जिला मुख्यालय से 85 किमी दूर पिड़रिया, भोड़हा गांव स्थित है। पिड़रिया गांव में माध्यमिक स्कूल था। शिक्षकों की लापरवाही के चलते प्राथमिक स्कूल कर दिया गया

रीवाOct 19, 2020 / 06:51 am

Rajesh Patel

queen dug up thirst was a 16-acre pond

queen dug up thirst was a 16-acre pond

रीवा. जिला मुख्यालय से 85 किमी दूर पिड़रिया, भोड़हा गांव स्थित है। पिड़रिया गांव में माध्यमिक स्कूल था। शिक्षकों की लापरवाही के चलते प्राथमिक स्कूल कर दिया गया। भोड़हा गांव के 70 वर्षीया महादेव दूबे मुताबिक उनके पूर्वजों ने बताया कि गांव में 16 एकड़ का रानी तालाब है। 200 साल पहले बिछरहटा की रानी क्षेत्र भ्रमण पर निकली थी। डोला पिड़रिया के भोड़हा गांव पहुंचा। रानी को प्यास लगी। पानी दूसरे गांव से लाने में घंटों में लग गए। तत्कालीन समय रानी ने तालाब खोदने का आदेश दिए। तब इस गांव में ताला खोदा गया। जिसका नाम रानी तालाब रखा गया है।
देवी की मूर्ति उठाए जा रहे थे
गांव के 80 वर्षीया बुजुर्ग रमाशंकर पटेल बताते हैं कि वर्ष 1980 में पड़ोसी गांव के माजन निवासी कुछ लोग फूलमती देवी को मंदिर से उठाए जा रहे थे। जैसे ही गांव के बाहर कोढिय़ा नदी के पास पहुंचे थे कि मृर्ति नदी पार नहीं कर सके। बाद में गांव के लोग मृर्ति को वापस घर लाए। हनुमना तहसील के पिड़रिया पंचायत चार अलग-अलग गांव को मिलाकर पंचायत बनी है। पंचायत की आबादी 3200 है। मतदाता 1384 हैं।

खेती पर निर्भर गांव
हनुमना तहसील के पिड़रिया, भोड़हा, पितंबरा एक व दो, फुलियाई, कोन्द्र व भुइया को मिलाकर एक पंचातय है। यहां के सरपंच चित्रसेन कोल है। सरपंच बताते हैं कि खेती पर गांव निर्भर है। विकास की कोशिश की जा रही है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव का मुख्य रोजगार खेती, किसानी है। गांव के राजीवलोचन पटेल बताते हैं के पूरी पंचायत में लगभग 80 फीसदी खेती किसानी होती है। गांव में धान, गेहूं, तिल सहित अन्य फसलों का उत्पादन होती है। गांव के निकट से गोरमा नहर निकली है। निजी पंप के जरिए गांव की सिंचाई होती है।
पिड़रिया में चालीस फीसदी गौड़ समाज
पिड़रिया पंचायत के भोड़हा गांव की आबादी 700 है। यहां पर लगभग 310 मतदाता हैं। पिड़रिया गांव की मुख्य बस्ती के रुप से जानी जाती है। महादेव दूबे बताते हैं कि भोड़हा में सबसे अधिक पटेलों की संख्या है। तीन घर ब्राö है। इसके अलावा एक दो घर अन्य जातियों के हैं। इसके अलावा पिड़रिया गांव में 40 फीसदी आबादी गौड समाज की है। इतनी ही संख्या में यादव समाज रहता है। इसके अलाव गांव में ब्राह्मण, साकेत समेत अन्य जतियों के छिटपुट परिवार रहते हैं।
गांव में शिक्षव का फौजी
ग्राम पंचायत में शिक्षक व फौज में कुछ लोग नौकरी करते हैं। शेष 90 फीसदी गांव कृषि पर निर्भर है। युवा रोजगार के लिए बाहर जाते हैं। लॉकडाउन के दौरान गांव लौटकर आए हैं। लेकिन, रोजगार नहीं मिल रहा है।
गांव में बेरोजगारी, पेयजल का संकट
पिड़रिया व भोड़हा बस्ती को छोड़ दे तो शेष दो अन्य बस्तियों में पेयजल जल का संकट है। गांव के महादेव दूबे बताते हैं कि बेरोजगारी अधिक है। खेती, किसानों के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं है।

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