गांव के 80 वर्षीया बुजुर्ग रमाशंकर पटेल बताते हैं कि वर्ष 1980 में पड़ोसी गांव के माजन निवासी कुछ लोग फूलमती देवी को मंदिर से उठाए जा रहे थे। जैसे ही गांव के बाहर कोढिय़ा नदी के पास पहुंचे थे कि मृर्ति नदी पार नहीं कर सके। बाद में गांव के लोग मृर्ति को वापस घर लाए। हनुमना तहसील के पिड़रिया पंचायत चार अलग-अलग गांव को मिलाकर पंचायत बनी है। पंचायत की आबादी 3200 है। मतदाता 1384 हैं।
खेती पर निर्भर गांव
पिड़रिया पंचायत के भोड़हा गांव की आबादी 700 है। यहां पर लगभग 310 मतदाता हैं। पिड़रिया गांव की मुख्य बस्ती के रुप से जानी जाती है। महादेव दूबे बताते हैं कि भोड़हा में सबसे अधिक पटेलों की संख्या है। तीन घर ब्राö है। इसके अलावा एक दो घर अन्य जातियों के हैं। इसके अलावा पिड़रिया गांव में 40 फीसदी आबादी गौड समाज की है। इतनी ही संख्या में यादव समाज रहता है। इसके अलाव गांव में ब्राह्मण, साकेत समेत अन्य जतियों के छिटपुट परिवार रहते हैं।
गांव में शिक्षव का फौजी
ग्राम पंचायत में शिक्षक व फौज में कुछ लोग नौकरी करते हैं। शेष 90 फीसदी गांव कृषि पर निर्भर है। युवा रोजगार के लिए बाहर जाते हैं। लॉकडाउन के दौरान गांव लौटकर आए हैं। लेकिन, रोजगार नहीं मिल रहा है।
गांव में बेरोजगारी, पेयजल का संकट
पिड़रिया व भोड़हा बस्ती को छोड़ दे तो शेष दो अन्य बस्तियों में पेयजल जल का संकट है। गांव के महादेव दूबे बताते हैं कि बेरोजगारी अधिक है। खेती, किसानों के अलावा रोजगार का कोई साधन नहीं है।