यह दृश्य उस समय का है जब पुष्प वाटिका में जनक नंदनी सखियों के साथ भ्रमण पर गई थीं और वहां मुनि विश्वामित्र की आज्ञा से श्रीराम अनुज लक्ष्मण के साथ पुष्प लाने पहुंचे थे।
बात नृत्य राघव शरण मंदिर घोघर में चल रही रामलीला के उस दृश्य की कर रहे हैं जिसमें श्रीराम और जनकनंदनी के प्रथम मिलन की कलाकारों ने जीवंत प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया। महोत्सव के चौथे दिन भगवान श्रीराम गुरुदेव विश्वामित्र के साथ जनकपुर की यात्रा पर गए।
रास्ते में एक शिलाखण्ड को पड़ा देख श्रीराम ने गुरुदेव विश्वामित्र से पूछा हे गुरुदेव ये कौन है? गुरुदेव विश्वामित्र ने कहा राम क्या बात है उद्धार करना चाहते हो। श्रीराम ने कहा कर्ज चुकाना चाहता हूं। विश्वामित्र के पूछने पर कहा, हमारा लेना देना भक्तों से चलता है।
श्रीराम ने कहा गुरुदेव जब एक भक्त प्रहलाद पत्थर से भगवान को प्रगट कर सकता है तो मै कैसा भगवान जो एक पत्थर से भक्त को प्रगट नहीं कर सकता। शिलाखण्ड का स्पर्श कर अहिल्या का उद्धार करते हैं। इसके बाद जनकपुर में जाकर बाल – सखाओं से मैंत्री करते हैं।
जनक की पुष्प वाटिका में सीता और राम का मिलन होता है। गुरु प्रसन्न दास महाराज के सानिध्य में खजुरीताल की आदर्श रामलीला मंडली सजीव प्रस्तुति दे रही है।