रीवा मुख्यालय उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती जिला है। यहां से ज्यादा पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, नागपुर, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आने-जाने वाली ज्यादातर सवारी बसें लगेज के नाम पर व्यापारियों का पार्सल ढो रही हैं। नागपुर से रीवा आने वाली बसों में फल, लोहा, मोटर पार्टस, कपडों का बंडल, किराना आदि का पार्सल आता हैं। उदाहरण के तौर पर पुराने बस स्टैंड के पास बुधवार सुबह 11 बजे कलेक्टर कार्यालय के सामने बस नंबर (यूपी-70 एम-4698) की छत से मोटर पार्ट, स्टील की रिंग, कपड़े के बंडल अनलोड किया गया।
महाराष्ट्र के नागपुर से हर रोज, रीवा से नगापुर और प्रयागराज के लिए दर्जनभर से अधिक ऐसे बसें चलती हैं, जो मालवाहक बनी हुई हैं। इसी तरह प्रयाग और रीवा से नागपुर, छत्तीसगढ़ आदि कई राज्यों के सीमावर्ती जिले तक बसों का संचालन होता है। नए और पुराने बसे स्टैंड को मिलाकर रीवा से पड़ोसी राज्यों को चलने वाली 100 से ज्यादा बसें हैं। जिसमें 55 बसों को रीवा आरटीओ कार्यालय से परमिट जारी किया गया है। शेष संबंधित राज्यों से बसें परमिट लेकर यात्रियों के सिर पर बसों की छत पर कारोबारियों का पार्सल ढो रही हैं। यात्रा के दौरान हर समय यात्री इस बात तो लेकर परेशान रहता है कि बसें सही सलामत गन्तव्य तक पहुंंच पाएंगी या नहीं।
रीवा-प्रयागराज की ज्यादातर बसों में पार्सल का परिवहन किया जा रहा है। प्रयागराज, आभा ट्रेवल्स और पक्षीराज की ज्यादातर बसों पर लगेज के नाम पर कारोबारियों का सामान ट्रांसपोर्ट किया जा रहा है। सवारियों ने बताया कि हाइवे बन जाने के बाद भी रीवा से प्रयागराज बसें साढ़े चार से पांच घंटे में पहुंच रही हैं। जबकि रीवा से प्रयागराज चलने वाली कुछ बसें महज तीन घंटे में भी पहुंच जाती हैं। जबकि रास्ते में ढाबे पर भी रुकती हैं। प्रयागराज से रीवा चलने वाली ज्यादातर बसें मोर्टर पार्टस, छोटे-छोटे सिलेंडर, किराना और सब्जी आदि वस्तुओं का बंडल ढो रही हैं।
बात दें कि उधर परिवहन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा बिना, परमिट, लायसेंस और ओवरलोड बसों के खिलाफ विशेष चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। बुधवार को एक बस को पकड़ा गया था, जिससे कार्यालय में खड़ा कराया गया। उक्त बस सेमरिया जा रही थी। इसके बाद भी बसों में ओवरलोड सवारियों के साथ ही मनमानी लगेज लादकर आने-जाने का सिलसिला नहीं रुक रहा है। जबकि नियम विरूद्ध बसों में लगेज लादने से कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।