रीवा। आयुर्वेद कॉलेज के अस्पताल की मान्यता के लिए नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हास्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर (एनएबीएच) सर्टीफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्र सरकार की यह व्यवस्था लागू होगी। इसे लेकर महकमे में हड़कंप मचा है। इसमें जो मापदंड रखे गए हैं उनको पूरा करना बड़ी चुनौती है। पहले से आयुर्वेद कॉलेज बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। अगर मानक पूरे नहीं हुए तो मान्यता संकट में पड़ सकती है। वैसे भी पांच साल में एक वर्ष जीरो ईयर रहा है। कॉलेज अस्थायी मान्यता पर संचालित है। आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि नए सत्र में उन्हीं आयुर्वेद कॉलेज को सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) मान्यता देगी, जिनके अस्पताल एनएबीएच से प्रमाणित होंगे। आयुष विभाग की ओर से यह बड़ा बदलाव किया गया है। सरकार की ओर से एक साल का वक्त दिया गया है। इसी अवधि में गाइड लाइन के तहत एनएबीएच से अस्पताल का निरीक्षण कराना होगा। इसके साथ ही नैक मूल्यांकन भी कराना अनिवार्य हो गया है।
ये मापदंड करने होंगे पूरे-अस्पताल में रोगियों का रजिस्ट्रेशन एवं भर्ती की सुव्यवस्थित सुविधा।
-अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का बोर्ड हर फैकल्टी के बाहर लगाना।
-ओपीडी में क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया के मानकों का परिपालन।
-अत्याधुनिक प्रयोगशाला और सर्जिकल सेवाएं।
-प्रत्येक रोगी का यूनिक आईडी नंबर जनरेट करना होगा।
-स्त्री, नाक, कान, गला संबंधी रोग के उपचार की सुविधा।
-रोगी और कर्मचारी की यूनीफार्म की व्यवस्था।
-क्लीनिकल रिसर्च की सुविधा सुनिश्चित हो।
-बायोमेडिकल वेस्ट को नष्ट करने मशीन की उपलब्धता।
-आईसीयू और एनआईसीयू इमरजेंसी सेवाएं मानको पर।
-रेफर और डिस्चार्ज मरीजों के रिकार्डों का संधारण।
क्यों है संकटआयुर्वेद कॉलेज से संबद्ध अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति विभाग अन्तर्गत
प्रसव नहीं हो रहे हैं। पंचकर्म की सुविधाएं भी बेहतर नहीं हैं। वार्डों की स्थिति भी जस की तस है। सुसज्जित पैथालॉजी का अभाव है। मुख्य बात ये है कि पैरामेडिकल स्टॉफ का अभाव। आधे से ज्यादा पद रिक्त हैं। रिसर्च के लिए बायोमेडिसिन प्लांट तैयार किया जा रहा है कॉलेज भवन और अस्पताल भवन का काम भी चल ही रहा है। बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था नहीं है, जो वक्त दिया गया है। उसमें ये मानक पूरे होने वाले नहीं है।
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