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रीवा

इस विभाग में 14 लाख के भुगतान में गड़बड़ी, इन अधिकारियों की फंसी गर्दन

आजाक के तत्कालीन जिला संयोजक ने नियम-कायदे को दरकिनार कर जारी कर दिया लाखो रुपए, आजाक कार्यालय में वर्ष 2017 से 2019 के बीच कई लाखों की वित्तीय अनियमितताएं

रीवाDec 14, 2019 / 12:34 pm

Rajesh Patel

रीवा. आदिम जाति कल्याण विभाग कार्यालय में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कार्यालय में वित्तीय वर्ष 2017 से लेकर नवंबर 2019 तक तत्कालीन जिला संयोजक ने नियम-कायदे को दरकिनार कर लाखों रुपए का भुगतान कर दिया है। कार्यालय में 14 लाख रुपए के भुगतान में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। अफसरों के पास पहुंची शिकायत में तत्कालीन जिला संयोजक राजेन्द्र जाटव ने हॉस्टलों में सामग्री की राशि अफसरों के बगैर अनुमति किराए पर लिए गए छात्रग्रृह में भुगतान कर दिया गया। इतना ही नहीं अप्रैल २०१९ में छात्रगृह राशि को बिना लेखापाल की जानकारी कोषालय से राशि जारी कराकर बंदरबांट कर ली गई।
आदिम जाति कल्याण विभाग में वित्तीय वर्ष 2017-19 में अनुसूचित जाति हॉस्टलों के सामग्री खरीद के लिए 13 लाख रुपए कोषालय से भुगतान नहीं किया गया। अप्रैल 2019 आयुक्त अनुसूचित जाति मध्य प्रदेश शासन ने वर्ष 2017-19 में सामग्री के लंबित भुगतान के लिए 14.73 लाख रुपए की राशि जारी की। लेकिन, तत्कालीन जिला संयोजक राजेन्द्र जाटव ने नियम-कायदे की अनदेखी कर बगैर आयुक्त अनुसूचित जाति और कलेक्टर की अनुमति लिए छात्रगृह के उपयोग में करीबियों के लिए गए आवास के किराए के नाम पर भुगतान कर दिया गया। जिससे सामग्री का भुगतान नहीं हो सका। कार्यालय में (वर्ष 2017 से लेकर नवंबर 2019 तक) वित्तीय अनियमितता के चलते वर्तमान समय में साढ़े चार करोड़ की सामग्री का बजट नहीं मिल सका है।
शहर में चहेतों के आवास पर चल रहे किराए के छात्रगृह
आदिम जाति कल्याण विभाग कार्यालय में वित्तीय अनियमितता के मामले में जिले के आला अफसरों सहित मुख्यमंत्री से की गई शिकायती पत्र के अनुसार तत्कालीन जिला संयोजक ने शहर में आधा दर्जन से अधिक छात्रगृह के उपयेाग के लिए चहेतों के आवास किराए ले रखा था। जिसका भुगतान नियम-कायदे की अनदेखी कर मकान मालिकों को 13.42 लाख रुपए कर दिया गया है।
कलेक्टर से किराए का निर्धारण तक नहीं किया गया
आदिम जाति कल्याण विभाग में नियम है कि हर साल छात्रगृह के उपयोग में बगैर कलेक्टर अनुमति आवास किराए पर नहीं लिए जा सकते। छात्रगृह के मापदंड ओर कलेक्टर की अनुमति को दरकिनार कर 6 से 7 मकान मालिकों के आवास किराए पर लिए गए। जिसमें छात्रों की उपलब्धता नहीं रही। पर्याप्त मात्रा में छात्रों की उपलब्धता के नाम पर ही आवास किराए पर लिए जाने हैं।
हॉस्टलों में नियम-कायदे की अनदेखी कर सौंपी है जिम्मेदारी
जिले के टीकर, सिरमौर, सेमरिया, त्योंथर, मऊगंज, पिपराही, हनुमना और गंगेव में हॉस्टल के अधीक्षकों को जिम्मेदार नियम-कायदे की अनदेखी कर सौंपी गई है। नियम है कि शिक्षा विभाग के शिक्षकों को हर तीन साल में मूल विभाग वापस भेजना है। लेकिन, तत्कालीन जिला संयोजक राजेन्द्र जाटव ने तीन साल से अधिक शिक्षकों को हॉस्टल का चार्ज दे रखा है। इसके अलावा चहेते अधीक्षकों को दो-दो छात्रावासों की जिम्मेदारी दे रखी है।
वर्जन…
इस तरह की जानकारी मुझे नहीं है, अगर ऐसा है तो गंभीर मामला है, इसकी जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने पर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
इला तिवारी, अपर कलेक्टर

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