स्वाध्याय से यह मुकाम हासिल किया
इसके बाद मनोरमा ने एमपी पीएससी की तैयारी शुरू की और राज्य सेवा परीक्षा पास कर 2013 में महिला वर्ग में प्रदेशभर में छठवां में रैंक प्राप्त की। वर्तमान में वे सतना में वाणिज्य कर अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने यह उपलब्धि घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए हासिल कर महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई। इनकी उपलब्धि में सबसे बड़ी बात यह है कि इन्होंने स्वाध्याय से यह मुकाम हासिल किया। इनके पिता अरविंद तिवारी शासकीय उच्चत्तर विद्यालय बड़ी हर्दी में शिक्षक के रूप में पदस्थ है वहीं माता रवि कुमारी तिवारी गृहणी हैं। मनोरमा बताती हैं कि 2017 में विवाह के बाद घर-परिवार और ऑफिस के लिए समन्वय बनाकर कर काम करना पड़ता है। सबको बराबर टाइम देने की कोशिश करती हूं।
इसके बाद मनोरमा ने एमपी पीएससी की तैयारी शुरू की और राज्य सेवा परीक्षा पास कर 2013 में महिला वर्ग में प्रदेशभर में छठवां में रैंक प्राप्त की। वर्तमान में वे सतना में वाणिज्य कर अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने यह उपलब्धि घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए हासिल कर महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई। इनकी उपलब्धि में सबसे बड़ी बात यह है कि इन्होंने स्वाध्याय से यह मुकाम हासिल किया। इनके पिता अरविंद तिवारी शासकीय उच्चत्तर विद्यालय बड़ी हर्दी में शिक्षक के रूप में पदस्थ है वहीं माता रवि कुमारी तिवारी गृहणी हैं। मनोरमा बताती हैं कि 2017 में विवाह के बाद घर-परिवार और ऑफिस के लिए समन्वय बनाकर कर काम करना पड़ता है। सबको बराबर टाइम देने की कोशिश करती हूं।
इन विभागों में दे चुकी सेवाएं
मनोरमा का 2012 में छत्तीसगढ़ पीएससी में चयन हुआ और सहकारिता विस्तार अधिकारी बनी। वर्ष 2013 में एमपीपीएससी से वाणिज्य कर अधिकारी बनी। वर्ष 2014 में जनपद सीईओ सोहावल बनी। वर्ष 2015 में सहायक संचालक कोष एवं लेखा के पद पर चयन हुआ था। लेकिन अब वे वाणिज्य कर अधिकारी के रूप में कार्य कर रही हंै। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय गुरु डॉ. देवेन्द्र मिश्रा एवं माता-पिता को दिया है।
मनोरमा का 2012 में छत्तीसगढ़ पीएससी में चयन हुआ और सहकारिता विस्तार अधिकारी बनी। वर्ष 2013 में एमपीपीएससी से वाणिज्य कर अधिकारी बनी। वर्ष 2014 में जनपद सीईओ सोहावल बनी। वर्ष 2015 में सहायक संचालक कोष एवं लेखा के पद पर चयन हुआ था। लेकिन अब वे वाणिज्य कर अधिकारी के रूप में कार्य कर रही हंै। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय गुरु डॉ. देवेन्द्र मिश्रा एवं माता-पिता को दिया है।
आज की पीढ़ी की महिलाओं को मेरा यह संदेश है कि स्वावलंबी बने अपने को पहचाने लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढऩे का प्रयास करें। मेहनत अवश्य रंग लाती है अपने मेहनत पर विश्वास करें, तकदीर पर नहीं। क्योंकि तकदीर मेहनत और समर्पण से बनती है। अपने कर्तव्य से नारी भर रही हैं अब उड़ान, न है कोई शिकायत न कोई थकान। यही है नारी की पहचान।