जलकुंभी में वाटर कंटेंट सर्वाधिक जलकुंभी को चारे में 20 प्रतिशत तक मिलाकर खिला सकते हैं। इसमें वाटर कंटेंट 92 प्रतिशत होता है। जानवरों के पाचन क्रिया में भी यह सहायक होता है।
डॉ.राजेन्द्र कुमार नागदा, अधिष्ठाता, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, वल्लभनगर READ MORE: बड़ा खुलासा: उदयपुर के इस व्यापारी की 75 करोड़ की अघोषित आय हुई उजागर, कारोबारी अस्पताल में भर्ती बिल्कुल विकल्प बन सकती है जलकुंभी हरे चारे का विकल्प बन सकती है। इसमें पोषकता घास के समान होती है। इसे हरे चारे में मिलाकर या हरे चारे के रूप में भी खिलाते हैं। इससे दूध उत्पादन भी बढ़ता है।
डॉ.सिद्धार्थ मिश्रा, सहायक आचार्य, पशु उत्पादन विभाग, आरसीए, उदयपुर अच्छा चारा है जलकुंभी भैंसों के लिए अच्छा चारा है। इससे इनका पेट साफ रहता है और पानी की कोई कमी नहीं रहती। गर्मियों में जब हरे चारे की किल्लत होती है तो उस समय यह हमारे लिए रामबाण होती है।
नवलराम,ग्रामीण, सूखा नाका READ MORE: बुनकरों को मुफ्त में पढ़ाएगी सरकार, इग्नू से किया करार दूध उत्पादन के लिए भी अच्छा किसानों, पशु पालकों और कृषि विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि जलकुंभी जानवरों के लिए हरे चारे का विकल्प बन रही है। इसे प्रिजर्व करके भी साइलेज के रूप में या सुखाकर हरे चारे में मिलाकर जानवरों को खिला सकते हैं। इसमें पोषकता घास के समान होती है, जिससे दूध उत्पादन में भी यह अच्छी रहती है। जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में गैर परम्परागत चारे को किसानों को अपनाना होगा। पशुओं को चारे की किल्लत से बचाने का यह एक विकल्प होगा। इसमें श्लेषमा होता है, जो पशुओं के पाचन तंत्र को मजबूत करता है। आयुर्वेद में भी इसका उल्लेख है।