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सागर

घर जाने से पहले वार्डन से लेना होगी मंजूरी, इस घटना से विश्वविद्यालय ने ली सीख

ज्योग्राफी के थर्ड सेमेस्टर के बगैर बताए छात्र के बाद हरकत में आया विवि प्रशासन

सागरSep 21, 2018 / 04:48 pm

manish Dubesy

Central university sagar Approval must warden going home

Central university sagar Approval must warden going home

डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि में सोमवार को चीफ वार्डन और समन्वयक के बीच होगी बैठक
सागर. डॉ. हरिसिंह गौर विवि के विवेकानंद हॉस्टल से बगैर बताए गायब हुए ज्योग्राफी विभाग के थर्ड सेमेस्टर का छात्र गुरुवार को भी विवि नहीं पहुंचा है। हालांकि छात्र ने इलाहाबाद में प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने की पुष्टी पुलिस ने की है और पुलिस का अनुमान है कि वह जल्द ही विवि वापस आ जाएगा। उधर, बगैर बताए गए छात्र के मामले के बाद विवि प्रशासन ने जल्द एक सख्त नियम लागू करने वाला है। इसको लेकर सोमवार को चीफ वार्डन और हॉस्टल समन्वयक के बीच एक बैठक होने वाली है। अभी तक हॉस्टलों में वार्डन को जानकारी देकर कहीं भी जाने का नियम नहीं फॉलो हो रहा है। इस वजह से विद्यार्थी बगैर बताए कहीं भी चले जाते हैं। हॉस्टल समन्वयक डॉ. प्रदीप तिवारी ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों की मनमर्जी बढ़ रही है। वार्डन को जानकारी दिए बगैर छात्र होस्टल से गायब हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसी संबंध में एक बैठक आयोजित की जाएगी, जहां संभवत: यह निर्णय लिया जाएगा कि जो भी छात्र, रिसर्च स्कॉलर्स यदि घर जाना चाहते हैं तो उन्हें छुट्टी का एक आवेदन वार्डन को देना होगा। उसी के बाद ही उसे अनुमति दी जाएगी।
बिना पास के नहीं मिलेगी एंट्री
हॉस्टल में प्रवेश करने से पूर्व पास दिखाना अनिवार्य कर दिया है। गेट पर मौजूद सुरक्षाबल पास को देखने के बाद ही अंदर जाने की अनुमति देगा। यह प्रक्रिया शुरू भी हो गई है। जिस छात्र के पास पास नहीं होता है उसे अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है। इतना ही नहीं, दूध वाले, पेपर वाले और कर्मचारियों को भी पास दिए गए हैं। बगैर पास इन्हें भी अंदर दाखिल होने नहीं दिया जा रहा है।
4 हॉस्टल में 650 से अधिक विद्यार्थी
विवि में चार बॉयज हॉस्टल हैं। इनमें हॉस्टल एक में यूजी के विद्यार्थी रहते हैं। दूसरे हॉस्टल में पीजी के छात्रों को रहने दिया जाता है। वहीं, तीन और चार में रिसर्च स्कॉलर्स रहते हैं। इन सभी हॉस्टलों में विद्यार्थियों की संख्या करीब ६५० से अधिक है। कमी के चलते पीजी वालों के साथ कुछ रिसर्च स्कॉलर्स भी रहते हैं।

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