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कोरोना से जीतने के लिए चेन ब्रेक करना जरूरी

वैश्विक महामारी बन चुकी कोरोना को लेकर पत्रिका ने मेडिकल कॉलेज के डीन से खास बातचीत।

सागरMar 27, 2020 / 01:01 pm

आकाश तिवारी

कोरोना से जीतने के लिए चेन ब्रेक करना जरूरी

कोरोना से जीतने के लिए चेन ब्रेक करना जरूरी

सागर. मैंने अपने मेडिकल पेशे में ६ बड़ी गंभीर बीमारियों को देखा है। इसमे कोरोना मेरे लिए हैरान करने वाली बीमारी है। ३८ साल के कॅरियर में मैने कॉलरा, प्लेग,भोपाल गैस त्रासदी, ब्रेन फीवर, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों को देखा और इससे पीड़ित मरीजों का इलाज किया, लेकिन कोरोना इन बीमारियों से काफी अलग है। यह एक पूरे कम्युनिटी को डैमेज कर सकती है। यह कहना है बीएमसी के डीन डॉ जीएस पटेल का।

पत्रिका ने डॉ पटेल से कोरोना को लेकर विशेष चर्चा की जिन्होंने कोरोना को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां दी। डॉ पटेल ने बताया कि कोरोना संक्रामक बीमारी होने के कारण यह तेजी से लोगों में फैलती है। चेन तोड़ना ही एकमात्र उपाय है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले मरीज को आइसोलेट कर रखना जरूरी है। इस स्थिति में ही अन्य लोगों को उनके संपर्क में आने से बचाया जा सकता है।

-गांव के गांव मरते देखे
डॉ पटेल ने पहली पोस्टिंग वर्ष १९८१-८२ में छग में हुई थी। उस दौर में डॉ पटेल ने कॉलरा जैसी जानलेवा बीमारी देखी थी। वे बताते हैं कि कॉलरा ऐसी बीमारी थी कि उसकी चपेट में आने वाले गांव के गांव खत्म होते देखे। इसके बाद गुजरात में प्लेग फैला। उस वक्त डॉ पटेल रायपुर में सेवाएं दे रहे थे। चूहों की वजह से होने वाली बीमारी से हजारो लोगों की मौत हुई। १९८४ में भोपाल आने के बाद भोपाल गैस त्रासदी देखी। इसमे तो हजारो लोगो की दर्दनाक मौत हुई थी।

-कोरोना से २ फीसदी मौत होती है
डॉ पटेल बताते हैं कि कोरोना तेजी से फैलने वैली बीमारी है। इसके संक्रमण विश्वभर में फेल चुका है। हालाकिं उन्होंने इससे २ फीसदी लोगों की मौत होना बताई है।


– डॉक्टर साहब अपनी चिंता नहीं करते, उनका ख्याल हमें ही रखना पड़ता है

डॉ पटेल की धर्मपत्नी मधुलिका पटेल से भी पत्रिका ने बातचीत की, जहां उनके अनुभवों को सांझा करने का प्रयास किया। वे बताती हैं कि १९९० में उनकी शादी डॉक्टर साहब के साथ हुई थी। तब से अभी तक बड़ी बड़ी बीमारियों को फेस करते हुए डॉक्टर साहब को देखा है। परेशानी सिर्फ इस बात की है कि वह अपने काम मे जुटे रहते है। खाने-पीने का कोई टीम टेबल नही रहता। उनकी चिंता मुझे करनी पड़ती है। जब से नोबल कोरोना आया है। तब से तो घर पर भी बहुत देर से पहुंचते हैं।

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