घट रहे बच्चे संख्या
शहर में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद भी विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। वजह यह है शिक्षक बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। पत्रिका की टीम जब बुधवार को स्कूलों में पहुंची तो शिक्षक धूप सेंकते नजर आए। शासकीय माध्यमिक कन्या शाला कटरा में शिक्षक कुर्सी बिछाए धूप का आनंद ले रहे थे। बच्चों को भी क्लास के बाहर बिठाया गया था और उन्हें अपना-अपना काम सौंप दिया गया था।
६ साल में कम हुए १७ हजार विद्यार्थी
सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या तेजी से घट रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो साल २०११ से २०१६ तक छह सालों में १७ हजार बच्चे कम हो गए हैं। औसतन हर साल ३३०० बच्चे सरकारी स्कूलों में प्रवेश नहीं ले रहे हैं। शहरी स्कूलों में तो हालात बेहद खराब हैं। स्थिति यह है कि प्रायमरी स्कूलों में तो छात्र संख्या महज २० तक जा पहुंची है।
शहर में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद भी विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। वजह यह है शिक्षक बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। पत्रिका की टीम जब बुधवार को स्कूलों में पहुंची तो शिक्षक धूप सेंकते नजर आए। शासकीय माध्यमिक कन्या शाला कटरा में शिक्षक कुर्सी बिछाए धूप का आनंद ले रहे थे। बच्चों को भी क्लास के बाहर बिठाया गया था और उन्हें अपना-अपना काम सौंप दिया गया था।
६ साल में कम हुए १७ हजार विद्यार्थी
सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या तेजी से घट रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो साल २०११ से २०१६ तक छह सालों में १७ हजार बच्चे कम हो गए हैं। औसतन हर साल ३३०० बच्चे सरकारी स्कूलों में प्रवेश नहीं ले रहे हैं। शहरी स्कूलों में तो हालात बेहद खराब हैं। स्थिति यह है कि प्रायमरी स्कूलों में तो छात्र संख्या महज २० तक जा पहुंची है।
इन स्कूलों में सर्वे
म्यूनिसिपल स्कूल बालक शाला, शासकीय माध्यमिक कन्या शाला कटरा, शासकीय हाईस्कूल चमेली चौक, शासकीय माध्यमिक शाला मोहननगर
बी व सी ग्रेड में बच्चे
शहरी स्कूलों में ग्रामीण की अपेक्षा पढ़ाई का स्तर ठीक रहता है, लेकिन यहां स्थिति उलट है। पत्रिका सर्वे में पता चला कि ज्यादातर बच्चे बी और सी ग्रेड में ही रहते हैं। ए ग्रेड सिर्फ १० प्रतिशत बच्चों को ही आता है।
म्यूनिसिपल स्कूल बालक शाला, शासकीय माध्यमिक कन्या शाला कटरा, शासकीय हाईस्कूल चमेली चौक, शासकीय माध्यमिक शाला मोहननगर
बी व सी ग्रेड में बच्चे
शहरी स्कूलों में ग्रामीण की अपेक्षा पढ़ाई का स्तर ठीक रहता है, लेकिन यहां स्थिति उलट है। पत्रिका सर्वे में पता चला कि ज्यादातर बच्चे बी और सी ग्रेड में ही रहते हैं। ए ग्रेड सिर्फ १० प्रतिशत बच्चों को ही आता है।
०४ स्कूलों में की गई पड़ताल
१०० बच्चों को किया गया था सर्वे में शामिल
एक प्रतिशत बच्चे दे पाए सही जवाब
८० प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी नहीं पढ़ पाते बोर्ड पैटर्न परीक्षा खत्म होने से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आई है। अब प्रतिभा पर्व के माध्यम से विभाग द्वारा बच्चों के मानसिक स्तर को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
एचपी कुर्मी, डीपीसी
१०० बच्चों को किया गया था सर्वे में शामिल
एक प्रतिशत बच्चे दे पाए सही जवाब
८० प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी नहीं पढ़ पाते बोर्ड पैटर्न परीक्षा खत्म होने से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आई है। अब प्रतिभा पर्व के माध्यम से विभाग द्वारा बच्चों के मानसिक स्तर को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
एचपी कुर्मी, डीपीसी