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सरकारी शिक्षा Live scan: वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी को बताया सागर का कलेक्टर

हालात यह हैं कि शहरी सरकारी स्कूलों में ८वीं-९वीं के बच्चों को कलेक्टर का नाम ही पता नहीं

सागरJan 19, 2018 / 04:20 pm

रेशु जैन

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सागर. सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए लाख प्रयास करने के बाजवूद स्थिति बदतर ही है। हालात यह हैं कि शहरी सरकारी स्कूलों में ८वीं-९वीं के बच्चों को कलेक्टर का नाम ही पता नहीं है। देश की राजधानी भी वे नहीं जानते हैं। ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) फॉर रूरल इंडिया-2017 के सर्वे में सामने आया है कि 36 प्रतिशत बच्चों को देश की राजधानी का नाम ही पता नहीं है। असर के सर्वे के बाद पत्रिका ने भी शहरी सरकारी स्कूलों में सर्वे किया। जिसमें बच्चों का सामान्य ज्ञान १० फीसदी भी ठीक नहीं मिला। एक बच्चे ने कहा सागर कलेक्टर वेंकैया नायडू हैं तो एक का जवाब हामिद अंसारी था। सर्वे में ऐसी ही अन्य जानकारियां भी सामने आई हैं, जो शिक्षा तंत्र पर सवालिया निशान खड़े करती हैं।
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घट रहे बच्चे संख्या
शहर में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद भी विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। वजह यह है शिक्षक बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहते हैं। पत्रिका की टीम जब बुधवार को स्कूलों में पहुंची तो शिक्षक धूप सेंकते नजर आए। शासकीय माध्यमिक कन्या शाला कटरा में शिक्षक कुर्सी बिछाए धूप का आनंद ले रहे थे। बच्चों को भी क्लास के बाहर बिठाया गया था और उन्हें अपना-अपना काम सौंप दिया गया था।
६ साल में कम हुए १७ हजार विद्यार्थी
सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या तेजी से घट रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो साल २०११ से २०१६ तक छह सालों में १७ हजार बच्चे कम हो गए हैं। औसतन हर साल ३३०० बच्चे सरकारी स्कूलों में प्रवेश नहीं ले रहे हैं। शहरी स्कूलों में तो हालात बेहद खराब हैं। स्थिति यह है कि प्रायमरी स्कूलों में तो छात्र संख्या महज २० तक जा पहुंची है।
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इन स्कूलों में सर्वे
म्यूनिसिपल स्कूल बालक शाला, शासकीय माध्यमिक कन्या शाला कटरा, शासकीय हाईस्कूल चमेली चौक, शासकीय माध्यमिक शाला मोहननगर
बी व सी ग्रेड में बच्चे
शहरी स्कूलों में ग्रामीण की अपेक्षा पढ़ाई का स्तर ठीक रहता है, लेकिन यहां स्थिति उलट है। पत्रिका सर्वे में पता चला कि ज्यादातर बच्चे बी और सी ग्रेड में ही रहते हैं। ए ग्रेड सिर्फ १० प्रतिशत बच्चों को ही आता है।
०४ स्कूलों में की गई पड़ताल
१०० बच्चों को किया गया था सर्वे में शामिल
एक प्रतिशत बच्चे दे पाए सही जवाब
८० प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी नहीं पढ़ पाते

बोर्ड पैटर्न परीक्षा खत्म होने से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आई है। अब प्रतिभा पर्व के माध्यम से विभाग द्वारा बच्चों के मानसिक स्तर को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
एचपी कुर्मी, डीपीसी
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