scriptतीन बार बदल चुकी डिजाइन, अब आस्था के नाम पर लगा रहे अड़ंगा | Makroniya railway bridge case | Patrika News
सागर

तीन बार बदल चुकी डिजाइन, अब आस्था के नाम पर लगा रहे अड़ंगा

मकरोनिया: रेलवे ओवर ब्रिज बनाने का काम फिर उलझा

सागरSep 14, 2018 / 12:26 pm

Samved Jain

तीन बार बदल चुकी डिजाइन, अब आस्था के नाम पर लगा रहे अड़ंगा

तीन बार बदल चुकी डिजाइन, अब आस्था के नाम पर लगा रहे अड़ंगा

सागर. उपनगरीय क्षेत्र मकरोनिया में रेलवे गेट नंबर 30 पर बनने वाले आरओबी (रेलवे ओबर ब्रिज) के निर्माण में फिर अड़ंगा आ गया है। इससे पहले भी दो-तीन बार एेसा हो चुका है। अब मंदिर को आधार बनाकर विरोध शुरू हो गया है। प्रशासन की ओर से जल्द दखल नहीं दिया गया तो यह विरोध आंदोलन में भी बदल सकता है। आरओबी निर्माण को लेकर एनएच ने सड़क के दोनों ओर लगे पेड़ों की कटाई शुरू की थी, लेकिन जब रेलवे गेट के समीप स्थित राम मंदिर के सामने लगे पेड़ों के काटने की बारी आई तो गत दिवस लोगों ने आस्था का प्रतीक बताते हुए विरोध शुरू कर दिया। लिहाजा एनएच के अधिकारी-कर्मचारी भी वापस चले गए। अब मंदिर समिति ने जनसंपर्क शुरू कर दिया है, जबकि समिति को यह बात करीब एक साल से पता है कि आरओबी निर्माण के चलते मंदिर परिसर एनएच की जद में आ रहा है। एेसा नहीं है कि इसके पहले आरओबी को लेकर काम शुरू नहीं हुआ। निर्माण को लेकर सर्वे करके डिजाइन भी तैयार हुई, लेकिन स्थानीय राजनीतिक लोगों की जमीन आने के कारण और कुछ अपने हितों को लेकर हमेशा निर्माण में रोड़ा अटकाया गया। यही कारण है कि आरओबी की डिजाइन तीन बार बदली जा चुकी है। इसके बाद इस बार यह नया पेंच सामने आ गया है।
१० साल से मांग, वर्ष २०१२ में हुुआ था आंदोलन
आरओबी निर्माण की मांग तो करीब दस साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन वर्ष २०१२ में निर्माण को लेकर स्थानीय लोगों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद भी कई बार स्थानीय लोगों के साथ मकरोनिया विकास समिति ने आरओबी की मांग को लेकर आंदोलन और प्रदर्शन किए। तब कहीं जाकर आरओबी की स्वीकृति मिल सकी। बताया जा रहा है कि जिन्होंने आरओबी के लिए आंदोलन किया अब उनमें से ज्यादातर विरोध जता रहे हैं।
पत्रिका-व्यू: प्रशासन चाहे तो सुलझ सकता है मामला
विरोध में चूंकि मंदिर को आधार बनाया जा रहा है और यहां स्थानीय लोगों की आस्था भी है। यदि जिला प्रशासन चाहे तो यह मामला आसानी से सुलझ सकता है। प्रशासन मंदिर समिति के साथ चर्चा करके आपसी सहमति बनाए तो इसको लेकर तीसरा विकल्प भी चुना जा सकता है। प्रशासन क्षेत्र में किसी भी शासकीय जमीन को मंदिर के लिए आवंटित कर मामले को सुलझा सकता है।
विचार करेंगे
&आरओबी निर्माण में कहीं बाधा आ रही है या कोई विरोध हुआ है तो संबंधित एजेंसी से एेसे कोई जानकारी अब तक नहीं मिली है। यदि मंदिर पुराना है और लोगों की भावनाओं से जुड़ा मामला है तो इस पर विचार किया जाएगा।
आलोक कुमार सिंह, कलेक्टर

 

Home / Sagar / तीन बार बदल चुकी डिजाइन, अब आस्था के नाम पर लगा रहे अड़ंगा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो