ट्रेन इंजनों में नहीं की जा रही गर्मी से राहत दिलाने की व्यवस्था
सागर•May 22, 2019 / 09:08 pm•
sachendra tiwari
No cooling system in train engines
बीना. भीषण गर्मी में जहां लोगों को कूलर, एसी भी राहत नहीं दे पाते हैंवहीं ट्रेन ड्राइवर बाहरी तापमान से दस गुना ज्यादा तापमान में टे्रन दौड़ा रहे हैं। इसके बाद भी रेलवे द्वारा इन्हें गर्मीसे राहत दिलाने के लिए कोईव्यवस्था नहीं की जा रही है। जिससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
गर्मी में इंजन का तापमान मशीनों के कारण बाहरी तापमान से 10 डिग्री तक अधिक हो जाता है। वर्तमान में करीब 50 डिग्री तापमान इंजन का पहुंच रहा है और 8 से 12 घंटे इंजन में ड्राइवर ड्यूटी कर रहे हैं। इंजन में गर्मी से राहत दिलाने के के लिए सिर्फ पंखा लगा रहता हैजो गर्म हवा फेंकता हैं, जिसे बंद करना पड़ता है। ड्राइवर लू से बचने के लिए ठंडे पेय पदार्थ अपने साथ लेकर जाते हैं, तब कहीं वह ड्यूटी कर पाते हैं। भीषण गर्मी के कारण ड्राइवरों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। क्योंकि तेज गर्मी से शरीर में पानी की कमी होती है और इससे कईबीमारियां हो जाती हैं।
गार्ड के लिए भी नहीं कोई व्यवस्था
ट्रेन में ड्राइवर के साथ-साथ गार्डकी भूमिका भी अहम होती है। मालगाड़ी में ड्यूटी करने वाले गार्डों के लिए पंखे तक की व्यवस्था नहीं रहती है। लोहे के बने इस केबिन में गर्मीमें बैठना भी मुश्किल रहता है, लेकिन मजबूरी में गार्ड उसमें बैठकर ड्यूटी करते हैं। कईबार ज्यादा गर्मीहोने के कारण वह बाहर खड़े हो जाते हैं। गार्डके केबिन में बिजली, शौचालय की व्यवस्था भी नहीं रहती है। यदि रात के समय कहीं सुनसान जगह पर ट्रेन खड़ी हो जाती हैतो गार्ड अपने-आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।
होने लगती है बेचेनी
इस संबंध में ड्राइवरों का कहना हैगर्मी के कारण कईबार बेचेनी होने लगती है। साथ ही लू लगने के कारण पेट संबंधी बीमारी सहित अन्य बीमारियों की चपेटमें आ जाते हैं।
यूनियन लगातार कर रही है मांग
यूनियन द्वारा लगातार मांग की जा रही है कि सभी ट्रेनों के इंजन में एसी लगाए जाएं और गार्ड के केबिन में भी बिजली, शौचालय की व्यवस्था की जाए। मांग के बाद व्यवस्थाओं में बदलाव होना शुरू हुआ है। इंजनों में एसी लगाए जाने लगे हैं और जो नए गार्डब्रेक आ रहे हैं उनमें बिजली, शौचालय की व्यवस्था है।
संजय जैन, जोनल सह महामंत्री, डब्ल्यूसीआरयू