scriptअब रेलवे के सभी कर्मचारी होंगे समाज कल्याण केन्द्र के सदस्य | Now all the employees of the railway will be members of the Social Wel | Patrika News
सागर

अब रेलवे के सभी कर्मचारी होंगे समाज कल्याण केन्द्र के सदस्य

डब्ल्यूसीआरइयू की मांग पर रेलवे ने किया आदेश जारी

सागरDec 01, 2018 / 08:48 pm

sachendra tiwari

Now all the employees of the railway will be members of the Social Welfare Center

Now all the employees of the railway will be members of the Social Welfare Center

बीना. बीना जंक्शन पर पदस्थ सभी रेल कर्मचारी अब समाज कल्याण केन्द्र के स्थाई सदस्य होंगे। इसके लिए डीआरएम ने आदेश जारी कर दिया है। गौरतलब है कि सालों से समाज कल्याण केन्द्र में सदस्यों को चुनने के लिए भी एक प्रक्रिया होती थी। इसके बाद जो सदस्य नियुक्त हो जाते थे वही लोग ही समाज कल्याण केन्द्र के पदाधिकारियों का चयन करते थे, लेकिन इस प्रक्रिया को करने में भी डब्ल्यूसीआरएमएस व डब्ल्यूसीआरइयू यूनियन के सदस्यों में आपसी खींचतान चलती रहती थी। कुछ सालों से समाज कल्याण केन्द्र पर डब्ल्यूसीआरएमएस का कब्जा है। चूंकि प्रक्रिया के अंतर्गत जब सदस्य जोडऩे का काम किया जाता था तो उसमें कई बार अधिकारों का उपयोग करके कूटनीति के तहत कई कर्मचारियों को सदस्य नहीं बनाया जाता था। संजय जैन ने बताया कि सभी डब्ल्यूसीआरइयू के सदस्यों ने रेल कर्मचारियों को स्थाई सदस्य बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे।
कई नियमों में हुआ बदलाव
डीआरएम ने आदेश जारी कर समाज कल्याण केन्द्र के चुनाव संबंधी निमयों में भी कुछ बदलाव किया है, जिसमें समाज कल्याण केन्द्र की प्रबंध समिति का कार्यकाल अब एक की बजाय दो वर्षों का होगा। समाज कल्याण केन्द्र की सदस्यता उस क्षेत्र के कार्यालयों के मुख्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य होगी, लेकिन कोई सदस्य सदस्यता लेना नहीं चाहता है तो उसे लिखित में सहमति देनी होगी। इसके बाद उसे सदस्यता से मुक्त रखा जाएगा।
बन गई थी विवाद की स्थिति
इस वर्ष समाज कल्याण केन्द्र के चुनाव को लेकर रेलवे की दोनों यूनियनों के पदाधिकारियों के बीच विवाद की स्थिति बन गई थी क्योंकि डब्ल्यूसीआरईयू की आेर से सदस्यों के लिए भेजी गई सूची से जो नाम कट दिए गए थे उसके कारण पदाधिकारी के चुनाव परिणाम डब्ल्यूसीआरएमएस के पक्ष में आने की संभावना थी। इसके बाद भोपाल में रेलवे के उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत किया जा सका था।

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