बीपीसीएल और वन विभाग के बीच हुए करार के तहत कंजिया बीट में रोपे जाने वाले 90 हजार पौधे में सागौन, शीशम की जगह फलदार पौधे रोपे जाएंगे। इसमें चिंरोजी, महुआ सहित ऐसी प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को लाभ हो और वन्य प्राणियों को खाने मिले। यहां पौधा रोपने के लिए मालथौन नर्सरी के साथ-साथ अन्य जगहों से भी हाइब्रिड पौधे मंगाए जाएंगे। रिफाइनरी द्वारा सीएसआर के तहत एक करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि दी गई है, जिससे 90 हेक्टेयर के पूरे क्षेत्र में फेंसिंग कराई गई है, जिससे पौधे सुरक्षित रहें।
शासकीय पीजी कॉलेज के वनस्पति विभाग में पदस्थ डॉ. सतीश राय ने बताया कि डेढ़ लाख पौधे जब बड़े होंगे, तो इससे करीब तीन किमी के दायरे में दो से तीन डिग्री तक तापमान घटेगा। जितनी कार्बनडाय ऑक्साइड पौधे ग्रहण करेंगे और उससे ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ेगे, जिससे तापमान कम होगा। साथ ही उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैस सहित अन्य प्रदूषण का असर भी कम करेंगे।
कंजिया बीट में ही कुछ वर्ष पूर्व ही 430 एकड़ जमीन में पौधरोपण हो चुका है और करीब दो लाख पौधे सुरक्षित हैं। यह पौधरोपण बीना नदी सिंचाई परियोजना के बदले मिली जगह में किया गया है।
दो सौ हेक्टेयर में होने वाले पौधरोपण के लिए पौधे तैयार कराए जा रहे हैं और जैसे ही मानसून सक्रिय होगा पौधरोपण शुरू हो जाएगा। बीपीसीएल की सीएसआर राशि से पहली बार जिले में 90 हेक्टेयर में पौधरोपण हो रहा है, यहां फलदार पौधे ही रोपे जाएंगे।