छोटी पुलिया की जगह लंबे समय से पुल बनाने की मांग
सागर•May 17, 2022 / 09:55 pm•
sachendra tiwari
People will be upset due to low culvert in many places
बीना. कई गांव में नदी-नालों पर बने आधे-अधूरे ब्रिज तो कही छोटी पुलिया आने वाले बारिश के मौसम में फिर चार महीने लोगों का इम्तिहान लेंगी। इस समस्या को दूर करने लोगों ने अब तक कई बार अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई है। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में आधा दर्जन गांव में नदी, नालों पर पुल की जगह छोटी पुलिया बना दी गई हैं। जिनकी ऊंचाई जमीन से कम होने की वजह से थोड़ी बारिश में ऊपर पानी आ जाता है और रास्ता बंद हो जाता है। इस समस्या से लोग लंबे समय से जूझ रहे हैं, लेकिन निराकरण नहीं होने से इस बारिश में भी परेशानी उठाना पड़ेगी। इन पुलियों से दर्जनों गांव के लोग आते जाते हैं।
बीना-भानगढ़ रोड स्थित पुलिया
इस रोड पर करीब पांच पुलिया का निर्माण किया गया है, जिनमें से दो का काम अभी भी अधूरा है। पहली पुलिया भानगढ़ के पास ही है जिसकी ऊंचाई काफी कम है और बारिश होते ही पुलिया पर पानी आ जाता है, जिससे दर्जनों गांव का शहर से संपर्क टूट जाता है, इसी प्रकार की स्थिति बेलई तिराहा पर है जहां भानगढ़ के रास्ते में ही पुलिया है इसका काम बारिश के पहले पूरा होना संभव नजर नहीं आ रहा है यदि यही हाल रहा तो लोगों को काफी मुसीबत होगी।
गढ़ा-पड़रिया मार्ग
गढ़ा-पड़ारिया जाने वाले मार्ग पर भी स्थित एक पुलिया की ऊंचाई महज तीन-चार फीट है। इस पुलिया पर बारिश का मौसम शुरू हुआ कि जरा सा तेज पानी गिरने पर यह डूब जाती है। कई बार पुलिया पर पानी होने के दौरान निकलते समय लोग बह तक चुके हैं, जिनको दूसरे लोगों ने बचाया। यहां पर बड़ा पुल बनाने की मांग लंबे समय से की जा रही है लेकिन उस पर अभी तक अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है।
परासरी नदी
बेधई के पास परासरी नदी पर छोटी पुलिया है जहां पर बारिश होने पर कई फीट तक पानी आ जाता है। इस स्थिति में लोगों का निकलना मुश्किल रहता है। हर साल इस पर बड़ा पुल बनाने की मांग की जाती है लेकिन न तो अधिकारी ध्यान दे रहे है न ही जनप्रतिनिधि।
देहरी रोड स्थित पुलिया
देहरी रोड पर मोतीचूर नदी पर स्थित पुलिया का निर्माण नए सिरे से कुछ वर्ष पहले किया गया था, लेकिन उसकी ऊंचाई को लेकर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जबकि इस पुलिया पर हमेशा से बारिश के मौसम में दिक्कत होती थी और ऊंचाई बढ़ाने की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया और स्थिति जस की तस है।