पं. केशव महाराज ने बताया कि जिस तिथि को दिवंगत आत्मा संसार से गमन करके गई थी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की उसी तिथि को पितृ शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है। लेकिन समय के साथ कभी-कभी जाने-अंजाने हम उन तिथियों को भूल जाते हैं, जिन तिथियों को हमारे प्रियजन हमें छोड़ कर चले गए थे। इसलिए अपने पितरों का अलग-अलग श्राद्ध करने की बजाय सभी पितरों के लिए एक ही दिन श्राद्ध करने का विधान बताया गया है। इसके लिए कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि यानि अमावस्या का महत्व बताया गया है। समस्त पितरों का इस अमावस्या को श्राद्ध किए जाने के कारण ही इस तिथि को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या कहा जाता है।
ये करें पितृपक्ष में
श्राद्ध पितृपक्ष के दौरान घर में सुबह शाम दीपक अवश्य जलाना चाहिए। इससे पितृदेव खुश होकर सुख शांति का वरदान देते हैं। इस दौरान मनुष्य को तामसी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं श्राद्ध के दौरान गाय, कौवा, कुत्ता और ब्राह्मणों को भोजन कराएं