श्रुतधाम में आयोजित हुआ कार्यक्रम
सागर•May 26, 2019 / 09:09 pm•
sachendra tiwari
Program organized in Shrutha Dham
बीना. श्रुतधाम में आयोजित 1008 भगवान आदि प्रभु के महामस्तिकाभिषेक के भव्य आयोजन पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान का 108 स्वर्ण कलशों से महामस्तिकमाभिषेक किया। इसके उपरांत विधान का आयोजन किया गया। खुरई से आए 501 शिविरार्थियों ने बड़े बाबा को श्रीफल भेंट किए।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए संदीप भैया सरल ने कहा कि जिन माता-पिता ने जन्म दिया उनकी सेवा व देखभाल करना इस मानवीय जीवन की बहुत बड़ी सेवा है। नर तन पाकर भी यदि अपने मां-बाप की सेवा का सौभाग्य हासिल नहीं किया तो समझ लेना मानवीय जीवन की सद्आचरण रुपी सबसे बड़ी दीक्षा से हम वंचित रह गए। मां-बाप की सेवा भी दीक्षा है, क्योंकि माता-पिता जन्मदाता ही नहीं बल्कि इस जीवन के निर्माता हैं और उनके अंत:करण से निकला आशीर्वाद मुक्ति को दिलाने में सक्षम हो सकता है। वह व्यक्ति स्वार्थी व निष्ठुर है जो अपने जन्मदाता मां-बाप को ही दुश्मन मान बैठता है और चंद चांदी के टुकड़ों के लिए अपने मां-बाप को ही ठुकरा देता है। जन्मदाता का संबंध खून के रिश्ते से होता है और जो खून के रिश्ते को ही दागी बना बैठते है और फिर वह जीवन में किसी के भी सगे नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज जितनी आत्मीयता एक पुत्री की अपने मां-बाप के प्रति देखने को मिलेगी उतनी पुत्र में नहीं रही है। जब जन्म के साथी ही पराए कर दिए गए, घर से नहीं बल्कि मन से भी अलग हो गए फिर श्रीराम और प्रभु महावीर कैसे बन पाएंगे। प्रवचन सभा का संचालन ब्र. नीलांजना दीदी, अतिशय और सहयोग संकलन अशोक शाकाहार ने किया।