scriptबच्चों की सुरक्षा का नहीं रखा जा रहा ध्यान, असुरक्षित तरीके से बैठा रहे वाहनों में | Safety of children is not being taken care of | Patrika News
सागर

बच्चों की सुरक्षा का नहीं रखा जा रहा ध्यान, असुरक्षित तरीके से बैठा रहे वाहनों में

हादसों के बाद भी नहीं लिया जा रहा सबक

सागरNov 11, 2019 / 09:00 pm

sachendra tiwari

Safety of children is not being taken care of

Safety of children is not being taken care of

बीना. स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है, लेकिन ओर न तो पुलिस का ध्यान है न ही अभिभावकों का। असुरक्षित तरीके से बच्चों को बैठाया जा रहा है, जिससे किसी दिन बड़ा हादसा होने की आशंका बनी हुई है। पूर्व में भी हादसे हो चुके हैं।
सबसे ज्यादा मनमानी स्कूली बच्चों को ले जाने वाले ऑटो चालकों द्वारा की जा रही है। यह क्षमता से ज्यादा बच्चों को असुरक्षित तरीके से बैठा रहे हैं। ऑटो की सीटों पर तो बच्चे ज्यादा संख्या में बैठाए ही जाते हैं, ऑटो में पीछे सामान रखने वाली जगह पर भी बच्चों को बैठा दिया जाता है, जिससे बच्चों के गिरने का खतरा भी बना रहता है। यदि पीछे से कोई वाहन हल्की सी टक्कर भी मार दे तो पैरों में गंभीर चोटें आ सकती हैं। कुछ ऑटो चालकों ने बाजू में जालियां भी नहीं लगाई हंै, ऑटो यदि गड्ढे में गिर जाए तो बच्चा नीचे गिर सकते हैं। यह ओवरलोड ऑटो पुलिस के सामने से गुजरते हैं, लेकिन इनपर कार्रवाई नहीं होती है। हादसा होने के बाद ही पुलिस को कार्रवाई करती है।
वाहनों की फिटनेस की नहीं हो रही जांच
स्कूली वाहनों की आरटीओ द्वारा भी जांच नहीं की जाती है, जिससे वाहनों की फिटनेस का भी कुछ पता नहीं है। अनफिट वाहन स्कूल में बच्चों को लाने ले जाने का काम कर रहे हैं। पुरानी स्कूली बसें भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। यदि आरटीओ द्वारा इन बसों की जांच की जाए तो कई कमियां सामने आ आएंगी। घटनाओं के बाद बसों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के भी निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
नाबालिग दौड़ा रहे वाहन
अभिभावक भी बच्चों को स्वयं खतरे में डाल रहे हैं और कम उम्र में ही उन्हें बाइक दे दी है, जिससे वह स्कूल जाते हैं। बाइक में अकेले ही नहीं तीन-तीन बच्चे बैठकर स्कूल जा रहे हैं। इस ओर अभिभावक और स्कूल प्रबंधन को भी जागरूक होने की जरूरत है।
मजबूरी में भेजते हैं ऑटो से
अभिभावक गौरव सेन ने बताया कि बच्चों को ऑटो से स्कूल भेजना मजबूरी है। क्योंकि बच्चे को हर दिन स्कूल छोडऩे नहीं जा सकते है। पुलिस को इस ओर ध्यान नहीं देना चाहिए।
हमेशा बना रहता है डर
अभिभावक मुकेश पटेल ने बताया कि स्कूली वाहनों से बच्चों को भेजने में हमेशा डर बना रहता है। कई बार ऑटो चालक से क्षमता से अधिक सवारी न बैठाने की बात भी की है, लेकिन वह सुनने तैयार नहीं हैं।
करेंगे जांच
स्कूली वाहनों की समय-समय पर जांच की जाती है। यदि वाहन चालक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं तो शीघ्र ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
मैना पटेल, थाना प्रभारी, बीना

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो