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बेटी की फीस के लिए पिता बेचने वाला था साइकिल लेकिन अब उसी से चल रही ‘जिंदगी’

लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद आर्थिक तंगी से जूझ रहा था परिवार..बेटी की फीस भरने भी नहीं थे पैसे…

सागरMar 30, 2022 / 09:04 pm

Shailendra Sharma

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सागर. मुश्किल वक्त में भी नहीं मानी हार..हौसला बनाए रखा और संघर्ष करते रहे जिसका फल ये मिला कि आज जिंदगी की ‘साइकिल’ सही चल रही है और परिवार की खुशियां धीरे-धीरे लौटने लगी हैं। ये कहानी है सागर के कैंट इलाके के रहने वाले संदीप दुबे की। संदीप साइकिल पर चाय बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं और अपनी बेटी को पढ़ा रहे हैं। संदीप बताते हैं लॉकडाउन में नौकरी छूटने के बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था बेटी की फीस भी जमा नहीं कर पा रहे थे लेकिन अब फिर से सबकुछ ठीक हो रहा है।

 

बेटी की फीस भरना हो रहा था मुश्किल
साइकिल पर चाय की दुकान चलाने वाले संदीप दुबे ने बताया कि वो कोरोना काल से पहले दिल्ली में रहते थे और ड्राइविंग कर महीने का 25 हजार रुपए तक कमा लेते थे। जिंदगी अच्छी चल रही थी लेकिन फिर कोरोना महामारी के कारण नौकरी छूट गई और उन्हें वापस सागर लौटना पड़ा। सागर लौटने पर कई जगह नौकरी की तलाश की लेकिन कहीं सही काम नहीं मिला। परिवार आर्थिक तंगी से परेशान था और हालात कुछ ऐसे हो गए थे कि बेटी की स्कूल फीस भरना मुश्किल हो गया था।

 

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जिस साइकिल को बेचने वाले थे उसी से चल रहा परिवार
संदीप ने बताया कि 7वीं क्लास में पढ़ने वाली बेटी की स्कूल फीस भरने के लिए उन्होंने घर में रखी साइकिल को बेचने के बारे में सोचा। लेकिन तभी एक परिचित ने कुछ पैसे देकर दुकान खोलने की सलाह दी। बाजार में दुकान लेने के पैसे नहीं थे लिहाजा संदीप ने साइकिल पर ही चाय की दुकान खोलने का फैसला लिया। घर के बर्तन, छोटे गैस चूल्हे और लकड़ी के बॉक्स की मदद से साइकिल पर ही चाय की दुकान बना दी। शुरुआती दिनों में संघर्ष का सामना करना पड़ा लेकिन अब दुकान चल पड़ी है और संदीप दफ्तर दफ्तर जाकर चाय बेच रहे हैं जिससे दिन में करीब 500 रुपए की आमदनी हो जाती है। संदीप ने कहा कि साइकिल पर खोली चाय की दुकान से जिंदगी की साइकिल अब अच्छी चल रही है। बेटी की स्कूल की फीस भी आसानी से भर पा रहे हैं और धीरे-धीरे सबकुछ ठीक हो रहा है।

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