scriptटारगेट और एक्शन गेम से बच्चों में डिप्रेशन का खतरा | Target Action Game Children Depression Risks | Patrika News
सागर

टारगेट और एक्शन गेम से बच्चों में डिप्रेशन का खतरा

आज वीडियो गेम-डे पर विशेष- अभिभावक रहें सचेत: गेम की लत से बच्चे हो रहे मानसिक बीमारियों का शिकार

सागरSep 12, 2018 / 06:10 pm

manish Dubesy

टारगेट और एक्शन गेम से बच्चों में डिप्रेशन का खतरा

टारगेट और एक्शन गेम से बच्चों में डिप्रेशन का खतरा

सागर. एक दशक पहले बचपन में कॉन्ट्रा और सुपर मारियो की स्टेज पार करना किसी बड़े काम को पूरा करने जैसा होता था, वहीं अब एंग्री बर्ड, कैंडी क्रश और लूडो की स्टेज क्लीयर होने से बेहद खुशी मिलती है।
गेम्स और टेक्नोलॉजी में लगातार परिवर्तन आ रहा है। तकनीकी युग में अब गेम टीवी स्क्रीन से निकलकर मोबाइल स्क्रीन तक पहुंच चुके हैं। इन सब में चौंकाने वाली बात यह है कि शहर के बच्चों को भी टॉरगेट और एक्शन गेम्स का चस्का है। बच्चे स्कूल टाइम में पढ़ाई के बात इन गेम को ही समय देते हैं, यही वजह कि बच्चों में मानसिक तनाव जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।
मनोचिकित्सक डॉ. राजीव जैन ने बताया कि गेम्स भी अब एक लत की तरह है। हर उम्र के लोगों के लिए यह लत लगी होती है। यही वजह है डब्लूएचओ ने इसे बीमारी माना है। मोबाइल में बच्चे इंडोर गेम खेलते हैं, उससे उनका मानसिक और शारीरिक दोनों विकास रूक रहा है। उन्होंने बताया कि क्लीनिक पर ऐसे मामले भी आ रहे हैं जिससे बच्चा गेम की वजह से ही परेशान रहता है। बचपन में ही डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। ऐसे में अभिभावकों को सचेत रहने की बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कई गेम्स ऐसे भी हैं जिससे बच्चा आत्महत्या करने की भी सोच लेता है।
विश्व स्तर पर मनाते हैं
वीडियो गेम की शुरूआत वर्ष 1951 में ब्रिटेन से इस दिवस की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 1975 में इसे घरेलू संस्करण के रूप में से इसे लॉन्च किया गया और 12 सितम्बर से इसे ग्लोबल लेवल पर मनाया जाने लगा। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को मनोरंजन प्रदान करना था।
मनोरंजन के साथ सावधानी जरूरी
मोबाइल फोन आने के बाद गेम्स के पैटर्न में जबदस्त बदलाव आए हैं। इस बीच कुछ ऐसे खेलों ने भी दस्तक दे दी है, जो लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं। इस बात का अंदाजा हालिया रीलिज हुए गेम्स पोकेमॉन गो और ब्लू व्हेल से लगाया जा सकता है। लाइव होने वाले इन गेम्स से लोगों कुछ ऐसे टास्क दिए जाते हैं जो बेहद रिस्की साबित हुए हैं। देश में कई बच्चों ने इसी वजह से आत्महत्या भी कर ली। ऐसे में जरूरी है कि गेम्स का चुनाव करते हुए सावधानी जरूर बरती जाए। खासतौर पर अभिभावक बच्चों के लिए सावधानी रखें।
इनका रखें ध्यान
बच्चों को ज्यादा देर मोबाइल न खेलने दें। यदि बच्चे के मोबाइल है तो समय-समय पर मॉनीटरिंग करें।
बच्चे पर नजर रखें की वो फोन में क्या खेलता है। कोई खतरनाक गेम हो तो तुरंत इससे दूर करें।
कोशिश करें बच्चे के लिए ग्राउंड पर गेम खिलाने लेकर जाएं, ताकि वो इंडोर गेम न खेल सकें।
किसी भी गेम को उत्सुकता के साथ न खेलने दें, देंखे बच्चा गेम की स्टेज पार करने की होड़ में तो नहीं है।

Home / Sagar / टारगेट और एक्शन गेम से बच्चों में डिप्रेशन का खतरा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो