रिकॉर्ड में 235 टन गेहूं हुआ है खराब
सागर•Sep 17, 2020 / 08:52 pm•
sachendra tiwari
Wheat bought for Rs 1925, rotten and sold for Rs 1051 quintal
बीना. समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी इस वर्ष 1925 रुपए प्रति क्विंटल की गई थी और बड़ी मात्रा में गेहूं खरीदा गया था। करमपुर गांव में ओपन कैप में गेहूं का भंडारण किया गया था, जहां बारिश में 235 टन गेहूं खराब हुआ है। इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं खराब होने के बाद भी जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
जिम्मेदार अधिकारियों को हजारों क्विंटल गेहूं सड़ जाने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा है और वह यह सोचकर खुश हैं कि सड़ा हुआ गेहूं उन्होंने खाद बनाने वालों को 1051 रुपए क्विंटल में बेच दिया है। जबकि यह गेहूं 1925 रुपए क्विंटल में खरीदा गया था, जिससे लाखों रुपए का नुकसान सरकार को हुआ है। 235 टन का आंकड़ा तो सरकारी रिकॉर्ड में आया है और हकीकत में नुकसान इससे ज्यादा भी हो सकता है। इस लापरवाही पर अभी तक किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई है। गौरतलब है कि करमपुर में बने ओपन कैप में रखा हजारों क्विंटल गेहूं बारिश में खराब हो गया है और उसमें कीड़े पड़ गए हैं। बारिश में सही तरीके से रखरखाव न होने के कारण यह स्थिति बनी ।
भंडारण की पहले नहीं की जाती है उचित व्यवस्था
खरीदी के पहले भंडारण की उचित व्यवस्था सरकार द्वारा नहीं की जाती है और हर वर्ष हजारों क्विंटल गेहूं इसी तरह खराब हो जाता है। यह गेहूं मवेशियों के खाने लायक भी नहीं बचता है। पिछले वर्ष वेयरहाउस में कोकून लगाकर गेहूं रखा गया था जो अभी भी बंद हैं। इस वर्ष कोकून की जगह साइलो बैग में खरीदी की गई, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं थे।
खाद के लिए बेचा है गेहूं
करमपुर में 235 टन गेहूं बारिश से खराब हुआ है, लेकिन उसे खाद बनाने के लिए बेच दिया गया है, जिससे ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
संजय सिंह, जिला प्रबंधक, नान