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सहारनपुर

मुस्लिम महिलाओं के लिए देवबंद से निकला एक और फतवा, पढ़ कर चकरा जाएंगे आप

बारात में औरतों के जाने को भी बता नाजायज

सहारनपुरDec 26, 2018 / 11:55 am

Ashutosh Pathak

saharanpur

मुस्लिम महिलाओं के लिए देवबंद से निकला एक और फतवा, पढ़ कर चकरा जाएंगे आप

देवबंद। फतवों की नगरी से महिलाओं के लिए एक और फतवा जारी हुआ है। जिसमें दारुल उलूम ने बारात में औरतों के जाने को भी नाजायज बताया गया है। साथ ही नसीहत दी कि इसे सभी को अमल करना चाहिए नहीं तो नहीं मामने वाले गुनेहगार होंगे। आपको बता दें कि इससे पहले दारुल उलूम ने विवाह समारोह में पुरुषों के साथ महिलाओं के खाना खाने को नाजायज बताया था।
दरअसल देवबंद के गांव फुलासी निवासी नजम गोड ने दारुल उलूम देवबंद से लिखित सवाल किया था कि आम तौर पर घर से निकाह के लिए जब दुल्हा निकलता है तो उसे बारात कहते हैं। कई जगह बारात में ढोल बाजा भी बजाया जाता है और दुल्हे को घोड़े पर बैठाया जाता है। दुल्हे के साथ बारात में मर्दों के साथ औरतें भी होती हैं जहां पर पर्दे का भी एहतेमाम नहीं होता है। क्या इस तरह बारात ले जाने की शरीयत इजाजत देती है।
जिसके जवाब में दारुल उलूम देवबंद से जारी हुए फतवे में कहा गया है कि ढोल-बाजा व मर्दे औरतों का एक साथ बारात में जाना शरीयत इस्लाम में नाजायज है। इससे बचना वाजिब है वरना सख्त गुनेहगार होंगे। साथ ही फतवे में कहा गया है कि अगर दुल्हन को रुखसत कराकर लाने के लिए जाना हो तो दुल्हे के साथ घर के दो या तीन लोग चले जाएं काफी हैं। जामिया फातिमा ज़ोहरा एंग्लो अरबिक के.मोहतमिम मौलाना लूतफुर्रहमान सादिक़ क़ासमी ने दारुल उलूम से जारी फतवे पर रोशनी डालते हुए कहा कि शरीयत ए मुहम्मदिया में बारात का ही कोई तसव्वुर नहीं है। बारात में काफी तादाद में औरतों मर्दों को ले जाने की कोई नजीर मोहम्मद साहब की जिंदगी से नहीं मिलती है। आज के जमाने में जो बारात की शकल है वह दूसरे धर्म के लोगों से मुतास्सिर है।

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