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मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि जिस तरीके से एक जनवरी को नए साल के रूप में मनाया जाता है, वह मुसलमानों को नहीं मनाना चाहिए। इस्लामी नजरिए के एतबार से जनवरी जो है इस्लामी साल नहीं है। इस्लाम का जो साल होता है वह मोहर्रम से शुरू होता है और इस्लाम के अंदर मोहर्रम को ही नया साल माना जाता है। जनवरी से जो साल शुरू होता है उसको इसाई लोग नया साल मानते हैं। तो ईसाई लोग इसको मनाए हमें कोई आपत्ति नहीं है। यह भी पढ़ें: पत्नी और बच्चों को गाड़ी में छोड़कर नदी में कूद गया युवक, महिला बोली- पति पर है भूत-प्रेत का साया उन्होंने कहा कि हम मुसलमानों से यह अपील करना चाहते हैं कि एक जनवरी को कोई भी मुसलमान नए साल के रूप में न मनाएं। जो भी इसको नया साल मनाते हैं और एक दूसरे को बधाई देते हैं वह गुनहगार होते हैं। क्योंकि यह इस्लामी साल नहीं है। यह गैरों का तरीका है कि जो शख्स जिसकी नौबत इख्तियार करता है कल कयामत के दिन उसी के साथ में उठाया जाएगा।