मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर बीएस साेढी के अऩुसार सहारनपुर में Covid-19 के तीन अस्पताल बनाए गए थे। इनमें पहला मेडिकल कॉलेज में बनाया गया था। दूसरा फतेहपुर में और तीसरा मिर्जापुर स्थित ग्लाेकल हॉस्पिटल में बनाया गया था। ग्लाेकल हॉस्पिटल की केवल बिल्डिंग इस्तेमाल की गई थी। इस अस्ताल में स्टाफ सरकारी था। यहां उन राेगियाें काे रखा गया था जिनकी रिपाेर्ट ताे पॉजिटिव थी लेकिन इनमें काेई लक्षण नहीं थे।
इसी तरह से जिनमें थाेड़े बहुत लक्षण थे उन्हे फतेहपुर हॉस्पिटल में रखा गया था और जिनमें साफ लक्षण थे उन्हे अंबाला राेड स्थित सहारनपुर मेडिकल कॉलेज में रखा गया था। यानी साफ है कि पूर्ण रूप से Covid-19 का हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज में ही बनाया गया था। बाकी फतेहपुर और मिर्जापुर हॉस्पिटल एक तरह से हाई रिस्क वाले क्वारंटीन सेंटर ही थे। ऐसे में यह भी साफ है कि इन हॉस्पिटल में राेगियाें के रखरखाव में सामान्य खर्च ही आया हाेगा। अब आपकाे यह जानकर हैरानी हाेगी कि, अपनी सेवाओं के एवज में अब ग्लाेकल हॉस्पिटल ने 9 कराेड़ रुपये का बिल भेजा है।
जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ( DM Saharanpur ) ने जब मिर्जापुर स्थित हॉस्टिल का 9 कराेड़ रुपये का बिल देखा ताे वह हैरान रह गए। इस बिल काे देखकर जिलाधिकारी ने ग्लाेकल यूनिवर्सिटी ( मेडिकल कॉलेज ) के वीसी काे तलब कर लिया। जिलाधिकारी ने जब पूछा कि इतनी बड़ी रकम में क्या खरीदा गया और क्या खर्च हुआ ताे वीसी काेई सटीक जवाब नहीं दे पाए। वीसी ने बिल वापस करने की बात कही लेकिन जिलाधिकारी ने पूरे मामले जांच बैठा दी है।
जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं याे आने वाला समय बताएगा लेकिन फिलहाल इस लापरवाही से यह ताे लगभग साफ हाे गया है कि ग्लाेकल मेडिकल कॉलेज ने महामारी काे भी अवसर बनाकर भुनाने की काेशिश की है। अब देखा यह है कि इस लापरवाही पर प्रशासन की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं ? जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने जांच बैठाए जाने की पुष्टि की है।
जब इस बारे में यूनिवर्सिटी के वीसी सतीश शर्मा से बात करने की काेशिश की ताे उन्हाेंने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। यहां यह भी जान लेना जरूरी है कि है ग्लाेकल अस्पताल, ग्लाेक्ल यूनिवर्सिटी के अंडर है और यूनिवर्सिटी के चांसलर पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल हैं।