दरअसल बहुत कम लाेग यह बात जानते हैं कि जन्माष्टमी पर्व की तारीख काे लेकर काेई कन्फ्यूजन नहीं है बल्कि जन्माष्टमी दाे ही दिन मनाई जाती है। इसकी पूरी व्याख्या हमें शास्त्राें में मिलती है। ज्याेतिष के अनुसार जाे गृहस्थ जीवन में हैं उनके लिए जन्माष्टमी का अलग दिन है और वैष्णव संप्रदाय से हैं उनके लिए जन्माष्टमी पर्व अलग तारीख मनानी चाहिए। इस बात काे समझने से ही सारे कन्फ्यूजन दूर हाे जाएंगे और आप जान जाएंगे कि आपकाे janmashtmi festival किस दिन मनाना है।
जानिए किस दिन जन्मे थे गाेपाल जन्माष्टमी त्याैहार या कह लीजिए व्रत भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी हाेता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। शास्त्रों में लिखित है कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी काे जन्म लिया था। उस समय रोहिणी नक्षत्र था और भगवान अर्ध रात्रि में अवतरित हुए थे। उस समय चंद्रमा वृषभ राशि में था।
जानिए आपकाे किस दिन मनानी है जन्माष्टमी आचार्य पंडिर राेहित वशिष्ठ के अऩुसार सीधे शब्दाें में आप इस तरह से समझिए कि अगर आप सनातन धर्म को मानने वाले हैं और देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने वाले हैं गृहस्थ जीवन में हैं, तो आपके लिए जन्माष्टमी पर्व (व्रत) शुक्रवार 23 अगस्त का है। इसके अलावा अगर आप विधिपूर्वक भगवान विष्णु काे मानते हैं उनकी पूजा करते हैं और वैष्णव संप्रदाय से हैं और किसी वैष्णव आचार्य से मन्त्र लिया हुआ है ताे आपके लिए शनिवार 24 अगस्त काे कृष्ण जनमाष्टमी है।
इस व्रत से मिटेंगे कष्ट शास्त्राें में ऐसा उल्लेख है कि जनमाष्टमी पर्व का व्रत बूढ़े बच्चे और जवान सभी के लिए है। इस व्रत के करने मात्र से सभी पापाें का दाेष नष्ट हाे जाता है और सुख का संचार हाेता है।
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