मौलाना सैय्यद महमूद मदनी का बाबरी मस्जिद पर विवादित बयान कहा- अवैध कब्जा करके मस्जिद नहीं बनाई जा सकती
देवबंद। अयोध्या में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि विवाद में जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना सैय्यद महमूद मदनी का विवादित बयान आने के बाद चर्चा का माहौल गर्म है। जहां एक ओर कुछ लोग चुनावी माहौल में इस तरह के बयान का विरोध कर रहे हैं। वहीं उनके समर्थक उनके बयान को तोड़ मरोडक़र पेश किया गया है। हालांकि इस बीच रविवार को मौलाना महमूद मदनी ने अपना पक्ष रखते हुए बयान का सरासर गलत बताया है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी के विवादित बाबरी ढांचे को मस्जिद मानने से इंकार करने वाले बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच आए मदनी के बयान को लेकर इस्लामिक हल्कों में ही नहीं बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी खासी चर्चा रही। मौलाना महमूद के बयान को लेकर पूर्व विधायक माविया अली का कहना था कि बाबरी मस्जिद का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे समय में उल्टे सीधे बयान देना चुनाव के अंदर किसी को लाभ पहुंचाना या किसी को नुकसान पहुंचाने वाली बात है। उन्होंने कहा कि चुनाव संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए है। संविधान बचेगा तो इन सब चीजों पर फैसला खुद-ब-खुद आता रहेगा। यह मुद्दा आज का नहीं है और न ही यह चुनावी मुद्दा है।
माविया अली ने कहा कि हर बयान से किसी न किसी को फायदा और किसी न किसी को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि आज जरुरत सेक्यूलर ताकतों को मजबूत करने की है सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत करने की जरुरत नहीं है। किसी भी बयान से अगर सांप्रदायिक ताकतें मजबूत होती है तो उसके कुछ न कुछ मायने हैं।
ये भी पढ़ें : VIDEO: बीजेपी के इस केंद्रीय मंत्री को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद लोगों का फूटा गुस्सा और लगाने लगे मुर्दाबाद के नारे वहीं, फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी का कहना है कि यह उनकी (मौलाना मदनी) अपनी मालूमात होगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलमा-ए-हिंद जो केस लड़ रही है वह उसे मस्जिद मानकर ही लड़ रही है। कहा कि मुमकिन है कि मदनी के बयान को तोड़ मरोडक़र पेश किया गया हो। या फिर उन्होंने अपनी मालूमात की बुनियाद पर यह बयान दिया हो। इसके साथ ही कहा कि हम किसी की नीयत पर हमला नहीं कर सकते। यह उनकी सियासत जाने। हम सिर्फ मस्जिद होने और मिलिक्यत होने पर बात कर रहे हैं। इसका चुनाव से कोई ताल्लुक नहीं है। अदालत में केस है अदालत सबूत की बुनियाद पर फैसला करती है चुनाव की बुनियाद पर फैसला नहीं करती।
उधर मौलाना महमूद मदनी के बाबरी मस्जिद के हवाले से आए बयान पर दिनभर फजीहत होने के बाद रविवार की देर शाम जमीयत उलमा-ए-हिंद के मीडिया इंचार्ज अजीमुल्लाह सिद्दीकी की और से मौलाना मदनी का पक्ष रखा गया। जारी बयान में यह कहा गया है कि मौलाना मदनी के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। जो पूरी तरह भ्रमक व तत्थों के खिलाफ है। उन्होंने हरगिज नहीं कहा कि वह बाबरी मस्जिद के ढांचे को मस्जिद नहीं मानते। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि बीबीसी गुजराती के कार्यक्रम में बाबरी मस्जिद को मस्जिद मानने का सवाल किया गया जिस पर मदनी ने कहा कि हां मैं उसे मस्जिद मानता हूं। इसके साथ ही उन्होंने आम संदर्भ में यह भी कहा कि इस्लाम में किसी मंदिर को तोडक़र या किसी की जमीन पर अवैध कब्जा करके मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। साथ ही कहा था कि अयोध्या विवाद को या तो आपसी सहमति से हल किया जा सकता है या फिर सब पक्षों को अदालत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए।
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